केमिकल इंजीनियरिंग को इंजीनियरिंग की एक शाखा है, जिसके अंतर्गत कच्चे पदार्थों एवं केमिकल्स को किसी प्रयोग की चीज में बदला जाता है, जबकि मॉडर्न केमिकल इंजीनियरिंग कच्चे पदार्थों को बदलने के साथ-साथ तकनीक (नैनोटेक्नोलॉजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) पर भी बल देती है। इस विधा के अंतर्गत रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं का हल ढूंढा जाता है। इसके अलावा उत्पादन प्रक्रिया में होने वाले डिजाइन प्रोसेस का कार्य डिजाइन इंजीनियर देखते हैं। अत: इसमें एक ही साथ कई अलग-अलग क्षेत्रों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह पाठ्यक्रम केमिस्ट्री व इंजीनियरिंग का मिला-जुला रूप है। इसमें कच्चे पदार्थों या केमिकल्स को विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत आवश्यक पदार्थों में तब्दील किया जाता है। इसमें नए मेटेरियल एवं तकनीकों की खोज भी की जाती है।
केमिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जैसे बीटेक या डिप्लोमा कोर्स के लिए पीसीएम से 12वीं पास होना जरूरी है। हालांकि पॉलीटेक्निक के माध्यम से 10 वीं के बाद भी केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा किया जा सकता है। बीटेक कोर्स की अवधि 4 साल और डिप्लोमा की अवधि 3 साल होती है।
Chemical Engineering Course -
- डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
- बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
- बैचलर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
- बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग इन केमिकल इंजीनियरिंग
- मास्टर ऑफ साइंस इन केमिकल इंजीनियिरग
- मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी इन केमिकल इंजीनियरिंग
- इंट्रिग्रेटेड एमटेक इन केमिकल इंजीनियरिंग
Opportunity in Chemical Engineering -
- केमिकल इंजीनियर
- प्रोजेक्ट मैनेजर
- सुपरवाइजर या मैनेजर
- केमिकल डेवलपमेंट इंजीनियर
- क्वालिटी कंट्रोलर
- लेबोरेट्री असिस्टेंट
Chemical Engineering का पाठय़क्रम केमिकल टेक्नोलॉजी से भिन्न होता है। इसमें आर्गेनिक व इनआर्गेनिक केमिकल्स को शामिल किया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी कंपनियों में डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित कार्य किए जाते हैं। रेगुलर कोर्सेज के अलावा दूरस्थ शिक्षा के जरिए भी कई तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। एक केमिकल इंजीनियर का कार्य केमिकल प्लांट्स को डिजाइन, ऑपरेट एवं उसके प्रोडक्शन से जुड़े कार्य करना होता है।
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