नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) क्या है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में तीखी बहस के बीच नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया है | इस बिल को मतदान के माध्यम से लोकसभा में पेश किया गया है | लोकसभा में बहुमत होने के कारण बीजेपी सरकार ने बहुत ही सरलता पूर्वक बड़े अंतर के साथ इस बिल को पेश कर दिखाया है | नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के लिए सोमवार को कुल 375 मतदान के साथ इसके पक्ष में 293 और पेश करने के विरोध में 82 वोट डाले गए थे| इस बिल को लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए पेश किया गया है। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया है।
भारत में एकल नागरिकता का कानून बनाया गया है, इसके आधार पर भारत में प्रत्येक नागरिक को वह सभी अधिकार दिए जाये, जो एक लोकतांत्रिक देश में नागरिकों को दिए जाते है | इस तरह के सभी अधिकार मानव जीवन के लिए बहुत जरूरी होते है, जिसमे सरकार द्वारा प्रदान की जा रही योजनाओं और अन्य सुविधाओं का लाभ नागरिकों को मिलता है | अगर भारत में देखा जाए तो अभी भी कई शरणार्थी है, जिन्हें भारत की नागरिकता नहीं प्राप्त है, जिसके वह लोकतंत्र के कई अधिकारों से वंचित है | दूसरे देश के नागरिकों द्वारा देश में हो रही समस्याओं को देखते हुए सरकार एक विधेयक लेकर आयी है जिसे नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) कहा जाता है |
Citizenship Amendment Bill का प्रावधान क्या है?
1. नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) का उद्देश्य छह समुदायों से किया गया है जैसे – हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी | इन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाने का प्रावधान तय किया गया है |
2.चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान करने के लिए बिल के माध्यम से मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा | सरकार की तरफ से यह ऐसा बिल पेश किया गया है, जिसमें मुसलमानो को बिलकुल भी नहीं शामिल किया गया है |
3.नए विधेयक में और भी संशोधन किए गए हैं, ताकि ‘गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे’ लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार हुए भारत में शरण लेने वाले लोगोंकी जानकारी सपष्ट रूप से की जाए |
4.बिल के अनुसार पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता सौंपी जा सकती है |
5.सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन में पारित होने के बाद, उच्च सदन यानि कि राज्यसभा में पारित करने के बाद लागू किया गया |
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