किसी भी गणतंत्र राष्ट्र का आधार संविधान होता है, इसमें उस देश या राष्ट्र के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के द्वारा देश का प्रशासन चलाने के लिए नियम का निर्माण किया जाता है, जिससे सत्ता का दुरुप्रयोग रोका जा सकता है | संविधान के द्वारा मूल शक्ति वहां की जनता में निहित की जाती है, जिससे किसी गलत व्यक्ति को सत्ता तक पहुंचने पर उसको पद से हटाया जा सकता है | इस प्रकार से कहा जा सकता है, संविधान के द्वारा प्रशासन की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए दिशा- निर्देश दिया जाता है, जिसका उलंघन नहीं किया जा सकता है |
जैसे किसी भी स्कूल या कॉलेज को चलाने के कुछ नियम होते है जिनके अनुसार छात्रों का भविष्य तय होता है, ठीक उसी प्रकार आप संविधान को ऐसे नियम की पुस्तक के रूप में देख सकते है, जिसके अनुसार देश को चलाया जाता है| किसी भी देश का संविधान उस देश को आत्मा को भी कहते है क्योंकि संविधान में ही उस देश के सभी मूल भाव व कर्त्तव्य निहित होते है| केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, जनता प्रतिनिधि (सांसद, विधायक) से लेकर लोकतंत्र में समाहित सभी पर संविधान समान रूप से लागू होता है|
भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है, यह प्रणाली इंग्लैंड से ली गयी है | इसके तहत भारतीय संविधान का निर्माण किया गया है | यह एक प्रकार का लिखित दस्तावेज है | जिसमें भारत के प्रशासन चलाने के लिए दिशा- निर्देश दिए गए है | इस संविधान में दिए गए नियमों का उलंघन कोई भी सरकार नहीं कर सकती है, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार | भारतीय संविधान का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय को बनाया गया है |
सर्वोच्च न्यायालय केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून की समीक्षा कर सकती है, यदि कोई भी कानून संविधान की मूल भावना और ढांचे के विपरीत पाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय उस कानून को निरस्त कर सकती है |
Constitution in Hindi
- वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अन्य देशों के द्वारा भारत को स्वतंत्र करने का दबाव इंग्लैण्ड पर पड़ने लगा, जिसमें इंग्लैण्ड की तत्कालीन सरकार का सत्ता परिवर्तन बहुत बड़ी भूमिका निभाता है | इन सभी दबावों के साथ इंग्लैण्ड ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया | इसके लिए उसने भारत में कैबिनेट मिशन को भेजा | कैबिनेट मिशन का उत्तरदायित्व भारत की सत्ता भारत के लोगों को हस्तांतरण करके वापस आना था |
- कैबिनेट मिशन ने वर्ष 1946 में कुछ प्रावधान तय किये जिसमें एक प्रावधान संविधान सभा का गठन करना था | यह सभा ही भारत के संविधान का निर्माण करेगी और सत्ता ग्रहण करेगी |
- कैबिनेट मिशन के अंतर्गत संविधान सभा का गठन किया गया जिसका प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ | इस अधिवेशन की अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद के द्वारा की गयी, डॉ सच्चिदानंद अस्थायी अध्यक्ष थे |
- संविधान सभा ने सर्वसम्मति से 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को अपना अध्यक्ष चुना | इस संविधान सभा में कई समितियों का गठन किया गया जिसमें प्रारूप समिति सबसे प्रमुख थी | इसका अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया | संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया तथा पूर्ण संविधान 26 नवम्बर 1950 को लागू किया गया |
संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन की सिफारिश पर किया गया था जिसने 1946 मे भारत का दौरा किया। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हाल (जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है ) में हुई थी । श्री सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किए गए थे । डॉ राजेन्द्र प्रसाद बाद में संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष बने । 13 दिसम्बर 1946 को पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भारतवर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु तंत्र घोषित करने और उसके भावी शासन के लिए एक संविधान बनाने के दृढ़ संकल्प से उद्देश्य संकल्प प्रस्तुत किया । संविधान सभा को स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करने का ऐतिहासिक कार्य पूरा करने मे लगभग तीन साल (दो साल ग्यारह महीने और सत्रह दिन ) लग गए । भारतीय संविधान सभा ने कुल ग्यारह सत्र आयोजित किए जिनकी कुल अवधि 165 दिन थी । संविधान सभा के ग्यारहवें सत्र के अंतिम दिन 26 नवम्बर 1950 को भारत का संविधान अपनाया गया था।इस तिथि का उल्लेख भारतीय संविधान की उद्देशिका में इस प्रकार मिलता है अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं ।
24 जनवरी 1950 को माननीय सदस्यों ने संविधान पर अपने हस्ताक्षर किए संलग्न किए । भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ । उस दिन संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हुआ और 1952 में नई संसद के गठन होने तक अंतरिम संसदका कार्य किया ।
इस तिथि का उल्लेख भारतीय संविधान की उद्देशिका में इस प्रकार मिलता है अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं ।
संविधान सभा की विभिन्न समितियोँ के अध्यक्ष
समिति अध्यक्ष प्रक्रिया विषयक नियमों संबंधी समिति राजेन्द्र प्रसाद संचालन समिति राजेन्द्र प्रसाद वित्त एवं स्टाफ समिति राजेन्द्र प्रसाद प्रत्यय-पत्र संबंधी समिति अलादि कृष्णास्वामी अय्यर आवास समिति बी पट्टाभि सीतारमैय्या कार्य संचालन संबंधी समिति के.एम. मुन्शी राष्ट्रीय ध्वज संबंधी तदर्थ समिति राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के कार्यकरण संबंधी समिति जी.वी. मावलंकर राज्यों संबंधी समिति जवाहर लाल नेहरू मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक एवं जनजातीय और अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी सलाहकार समिति वल्लभ भाई पटेल अल्पसंख्यकों के उप-समिति एच.सी. मुखर्जी मौलिक अधिकारों संबंधी उप-समिति जे. बी. कृपलानी पूर्वोत्तर सीमांत जनजातीय क्षेत्रों और आसाम के अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी उपसमिति गोपीनाथ बारदोलोई अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों (असम के क्षेत्रों को छोड़कर) संबंधी उपसमिति ए.वी. ठक्कर संघीय शक्तियों संबंधी समिति जवाहर लाल नेहरू संघीय संविधान समिति जवाहर लाल नेहरू प्रारूप समिति बी.आर. अम्बेडकर
भारतीय संविधान की प्रस्तावना (PREAMBLE OF INDIAN CONSTITUTION in Hindi)
“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए,
दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं|”
नोट: 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में पंथ निरपेक्ष, समाजवादी तथा और अखण्डता, शब्द को जोड़ा गया |
“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए,
दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं|”
संविधान का क्या मतलब है? | Meaning of Constitution of India in Hindi
संविधान का मतलब उस लिखित दस्तावेज से है, जिसमें दिए गए नियम व निर्देश के आधार पर शासन किया जाता है, इस दस्तावेज में सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है | किसी भी देश के संविधान को लचीला बनाया जाता है, जिससे उसमें समय के अनुसार प्रक्रिया के अंतर्गत परिवर्तन किया जा सकता है, भारतीय संविधान में भी परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |
संविधान का पालन करने से कोई भी व्यक्ति अपने इच्छा के अनुसार शासन को नहीं चला सकता है, इसमें जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है | भारतीय संविधान के द्वारा आम नागरिक को मतदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है, मतदान के द्वारा ही देश की सत्ता में परिवर्तन किया जा सकता है | भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत के नागरिकों में सभी प्रकार की शक्ति विद्दमान होने की बात स्वीकारी गयी है, यह प्रस्तावना ही संविधान के उद्देश्य की जानकारी देती है |
संविधान का मतलब उस लिखित दस्तावेज से है, जिसमें दिए गए नियम व निर्देश के आधार पर शासन किया जाता है, इस दस्तावेज में सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है | किसी भी देश के संविधान को लचीला बनाया जाता है, जिससे उसमें समय के अनुसार प्रक्रिया के अंतर्गत परिवर्तन किया जा सकता है, भारतीय संविधान में भी परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |
संविधान के प्रमुख बिंदु (MAIN POINTS OF CONSTITUTION)
भारत के मूल संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी | इस संविधान में दो तिहाई भाग भारत शासन अधिनियम 1935 से लिए गए थे | इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान में कई अन्य देशों के संविधान से प्रावधानों को लिया गया है |
भारतीय संविधान के भाग
भारतीय संविधान 22 भागों में विभजित है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।
यह वर्तमान समय में भारतीय संविधान के निम्नलिखित भाग हैं-
- एक उद्देशिका,
- 470 अनुच्छेदों से युक्त 25 भाग
- 12 अनुसूचियाँ,
- 5 अनुलग्नक (appendices)
- 104 संशोधन।
(अब तक 124 संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाये गये हैं जिनमें से 103 संविधान संशोधन विधेयक पारित होकर संविधान संशोधन अधिनियम का रूप ले चुके हैं। 124वां संविधान संशोधन विधेयक 9 जनवरी 2019 को संसद में #अनुच्छेद_368 【संवैधानिक संशोधन】के विशेष बहुमत से पास हुआ, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को शैक्षणिक संस्थाओं म 8 अगस्त 2016 को संसद ने वस्तु और सेवा कर (GST) पारित कर 101वाँ संविधान संशोधन किया।)
अनुसूचियाँ
भारत के मूल संविधान में मूलतः आठ अनुसूचियाँ थीं परन्तु वर्तमान में भारतीय संविधान में बारह अनुसूचियाँ हैं। संविधान में नौवीं अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951, 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन 1985, 11वीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन 1992 एवं बाहरवीं अनुसूची 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा सम्मिलित किया गया।
पहली अनुसूची - (अनुच्छेद 1 तथा 4) - राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन।
दूसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 59(3), 65(3), 75(6),97, 125,148(3), 158(3),164(5),186 तथा 221] - मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते [9]
- भाग-क : राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतन-भत्ते,
- भाग-ख : लोकसभा तथा विधानसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्यसभा तथा विधान परिषद् के सभापति तथा उपसभापति के वेतन-भत्ते,
- भाग-ग : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन-भत्ते,
- भाग-घ : भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के वेतन-भत्ते।
तीसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 75(4),99, 124(6),148(2), 164(3),188 और 219] - व्यवस्थापिका के सदस्य, मंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, न्यायाधीशों आदि के लिए शपथ लिए जानेवाले प्रतिज्ञान के प्रारूप दिए हैं।
चौथी अनुसूची - [अनुच्छेद 4(1),80(2)] - राज्यसभा में स्थानों का आबंटन राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों से।
पाँचवी अनुसूची - [अनुच्छेद 244(1)] - अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जन-जातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित उपबंध।
छठी अनुसूची- [अनुच्छेद 244(2), 275(1)] - असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय में उपबंध।
सातवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 246] - विषयों के वितरण से संबंधित सूची-1 संघ सूची, सूची-2 राज्य सूची, सूची-3 समवर्ती सूची।
आठवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 344(1), 351] - भाषाएँ - 22 भाषाओं का उल्लेख।
नवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 31 ख ] - कुछ भूमि सुधार संबंधी अधिनियमों का विधिमान्य करण।पहला संविधान संशोधन (1951) द्वारा जोड़ी गई ।
दसवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 102(2), 191(2)] - दल परिवर्तन संबंधी उपबंध तथा परिवर्तन के आधार पर 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा जोड़ी गई ।
ग्यारहवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 243 छ ] - पंचायती राज/ जिला पंचायत से सम्बन्धित यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई।
बारहवीं अनुसूची - इसमे नगरपालिका का वर्णन किया गया हैं ; यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़ी गई।
अन्य देशों से लिए गए प्रावधान
- संयुक्त राज्य अमेरिका- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, राष्ट्रपति निर्वाचन एवं उस पर महाभियोग, न्यायधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, संविधान की सर्वोच्चता |
- इंग्लैण्ड- संसदीय शासन प्रणाली, एकल नागरिकता व कानून बनाने की प्रक्रिया |
- आयरलैंड- राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था, नीति निर्देशक तत्व, आपातकालीन उपबंध
- ऑस्ट्रेलिया- प्रस्तावना की भाषा, संघ और राज्य के सम्बन्ध तथा शक्तियों का विभाजन, समवर्ती सूची का प्रावधान |
- सोवियत रूस- मूल कर्त्तव्य |
- जापान- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया |
- फ्रांस- गणतंत्रात्मक शासन पद्धत्ति |
- कनाडा- संघात्मक शासन व्यवस्था एवं अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना |
- दक्षिण अफ्रीका- संविधान संसोधन की प्रक्रिया |
- जर्मनी- आपातकालीन उपबंध |
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन
संशोधन | वर्ष | महत्त्व |
---|---|---|
7 | 1956 | भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन और वर्ग ए, बी, सी और डी राज्यों के उन्मूलन और केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना । |
9 | 1960 | पाकिस्तान के साथ समझौते के परिणामस्वरूप भारतीय क्षेत्र में समायोजन । |
10 | 1961 | पुर्तगाल से अधिग्रहण पर दादरा, नगर और हवेली केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारतीय संघ में शामिल हुए । |
12 | 1961 | पुर्तगाल से अधिग्रहण पर गोवा, दमन और दीव केंद्रशासित प्रदेश के रूप में भारतीय संघ में शामिल हैं । |
13 | 1962 | 01 दिसम्बर 1963 को अनुच्छेद 371 ए के तहत विशेष सुरक्षा के साथ नागालैंड राज्य का गठन । |
14 | 1962 | पांडिचेरी फ्रांस द्वारा स्थानांतरण के बाद भारतीय संघ में शामिल हुआ | |
21 | 1967 | सिंधी को 8 वीं अनुसूची की भाषाओं में शामिल किया गया । |
26 | 1971 | रियासतों के पूर्व शासकों को दिए गए प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया । |
36 | 1975 | सिक्किम एक भारतीय राज्य के रूप में शामिल है । |
42 | 1976 | मौलिक कर्तव्य निर्धारित, भारत समाजवादी पंथनिरपेक्ष गणराज्य बना । |
44 | 1978 | संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया । |
52 | 1985 | चुनाव के बाद किसी अन्य पार्टी का दलबदल करना गैरकानूनी बना । |
61 | 1989 | मतदान की उम्र 21 से घटकर 18 हो गई । |
71 | 1992 | कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को आठवीं अनुसूची की भाषाओं में शामिल किया गया । |
73 | 1993 | पंचायती राज की स्थापना, संविधान में भाग IX अतःस्थापित । |
74 | 1993 | नगरपालिकाओं का गठन । |
86 | 2002 | 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा । |
92 | 2003 | बोडो, डोगरी, संथाली और मैथली को मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची में जोड़ा गया । |
8,23,45,62, 79 and 95 | 1960, 1970, 1980, 1989, 2000 और 2010 | अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण और संसद तथा राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन सदस्यों के नामांकन की समय सीमा को बढ़ाया गया । |
96 | 2011 | संविधान की आठवीं अनुसूची में Oriya के लिए Odia प्रतिस्थापित । |
97 | 2012 | सहकारी समितियों से संबंधित संविधान में भाग IXख अतःस्थापित । |
101 | 2016 | माल और सेवा कर (GST) अतःस्थापित |
102 | 2018 | राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना |
103 | 2019 | समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण । |
42 वां संशोधन सबसे व्यापक संशोधन था जिसमें 59 खंड थे और इतने बदलाव किए गए थे कि इसे "लघु संविधान" के रूप में वर्णित किया गया । | ||
52 वां संशोधन संसद द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया जाने वाला एकमात्र संशोधन था । |
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