विधान परिषद - Legislative Council

 

विधान परिषद क्या होता है



भारत के सात राज्य ऐसे है, जिनमे विधान परिषद मौजूद  है | विधान परिषद् का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत किया जाता है | वहीं विधान परिषद  के सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों की संख्या की एक तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती है | इसके अलावा यदि कोई राज्य अपने मुताबिक़ अपने राज्य में विधान परिषद का गठन करना चाहता है, तो इसके लिए उसे सबसे पहले विधानसभा के एक तिहाई सदस्यों के समर्थन के साथ प्रस्ताव पारित करना होता है और फिर उस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजना होता है | इसके बाद यदि केंद्र सरकार आपके प्रस्ताव को स्वीकार कर कर लेता है, तो केंद्र की मंजूरी के बाद राज्य में विधान परिषद का गठन बहुत ही आसानी के साथ किया जा सकता है | 


विधान परिषद राज्य विधान मंडल का हिस्सा माना जाता होता है, जिसमें सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाता है, उसी तरह जैसे राज्य सभा का कराया जाता है | विधान परिषद के कुछ सदस्यों को राज्य के राज्यपाल द्वारा  ही मनोनीत किया जाता है लेकिन भारत के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के विधान मंडल में विधान परिषद नहीं  है , क्योंकि  भारत में अभी तक केवल 7 राज्य ही ऐसे हैं जिसके विधान-मंडल में विधान परिषद है | भारत के पार्लियामेंट में जैसे राज सभा का एक अहम भूमिका होती है, उसी प्रकार राज्य में विधान परिषद भी अहम भूमिका मानी जाती है | वहीं अनुमान है, कि आने वाले समय में राजस्थान और असम में विधान परिषद बन सकता है क्योंकि इसके लिए भारत सरकार ने मंजूरी पहले से ही दे दी है |

भारत के विधान परिषद वाले राज्यों के नाम

  1. उत्तर प्रदेश – 100
  2. महाराष्ट्र – 78
  3. बिहार – 75
  4. कर्नाटक – 75
  5. आंध्र प्रदेश – 58
  6. तेलंगाना – 40
  7. जम्मू-कश्मीर – 36

विधान परिषद का चुनाव कैसे होता है ?

संविधान के अनुच्छेद 169,171(1) एवं 171(2) में विधान परिषद के गठन का किया गया है। विधानसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को संघीय संसद के पास भेज दिया जाता है। अनुच्छेद 171(2) के मुताबिक लोकसभा एवं राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित  करने का काम करती है |इसके बाद इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है | राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही विधान परिषद के गठन की मंजूरी प्रदान कर दी जाती है |

विधान सभा की तरह ही विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल भी छह वर्षों तक ही होता है, लेकिन विधान परिषद में प्रत्येक दो साल के बाद एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल ख़त्म हो जाता है और इसके बाद राज्य सभा की तरह ही विधान परिषद भी एक स्थायी सदन बन जाता है जिसे कभी भी कोई भंग नहीं कर सकता है |  

किसी भी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए | इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना बहुत ही आवश्यक होता है  लेकिन वहीं जम्मू और कश्मीर की विधान परिषद में जम्मू और कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 50 द्वारा 40 सदस्यों की पूर्ती न करते हुए केवल 36 सदस्यों को ही स्थगित किया गया है |

विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्य चुनते हैं लकिन इसके लिए ऐसे सदस्यों का चुनाव किया जाता है विधान सभा के सदस्य न रहे हो | वहीं एक तिहाई सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा किया जाता है, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों को शामिल किया जाता है | 

वहीं एक बटा बारह सदस्यों का चुनाव वो व्यक्ति करते है, जिन्होंने कम से कम तीन वर्षों तक राज्य के भीतर शैक्षिक संस्थाओं (माध्यमिक विद्यालयों से नीचे नहीं) में अध्यापन किया है। वहीं, अन्य एक बटा बारह (1/12) का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है, जिन्होंने तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर चुके हैं।  इसके साथ ही शेष बचे सदस्यों को राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से चुन लिया जाता जाता है।







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