चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse)
चन्द्र ग्रहण (LUNAR ECLIPSE) उस समय लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी ग्रह की छाया में होता है। ऐसा तब संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में पहुँच रही हों। इस ज्यामितीय बंधन के वजह से चन्द्र ग्रहण सिर्फ पूर्णिमा को हो सकता है। चंद्र ग्रहण का समय एवं प्रकार चंद्र आसंधियों के अपेक्षा में चंद्रमा की स्थिति पर तय करते हैं। चंद्रमा के इस अवस्था को “ब्लड मून” भी कहते है। चंद्र ग्रहण आरंभ होने के पश्चात ये पहले काले और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल रंग में प्रवर्तित हो जाता है।
हमें पता है कि चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह होता है, उपग्रह होने के नाते यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, इस चक्कर के उपरांत चन्द्रमा का रास्ता परवलयकार होता है, जिसकी वजह से चन्द्रमा कभी पृथ्वी के समीप तो कभी पृथ्वी के सबसे अधिकतम दूरी से घूमती है। एक ऐसी खगोलीय घटना को “Super Moon” कहते हैं जिस समय चन्द्रमा, पृथ्वी के सबसे निकट होता है (लगभग 3,56,500 किलोमीटर) इस दौरान चन्द्रमा अपनी वास्तविक अवस्था से चौदह गुना अधिक चमकीला दिखाई देता है । खगोलीय वैज्ञानिको अनुसार प्राप्त जानकारी से “Super Moon (सुपर मून)” की घटना लगभग प्रत्येक 33 वर्ष के पश्चात पुनः घटित होती है।
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