Pharmacist - फार्मासिस्ट

Pharmacist बनने के लिए Course

  • डी फार्मा
  • बी फार्मा
  • एम फार्मा

गवर्नमेंट और कुछ रेपुटेड प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई करना होगा, जिसके आधार पर आपको एडमिशन मिलेगा। वंही बहुत से प्राइवेट कॉलेजों में डायरेक्ट 12वीं के बाद दाखिला मिल जाता है। 

डी फार्मा की अवधि 2 साल और B Pharma की अवधि 4 साल होती है। कोर्स को पूरा करने के बाद आपको अपने स्टेट के फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकृत करना होगा। जिसके बाद आप Pharmacist के तौर पर काम कर सकते हैं।


किसी भी फार्मेसी कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले ये जरूर जान लें कि वो कॉलेज फॉर्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकृत होना चाहिए। 



Pharmacist के कार्य

फार्मासिस्ट प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल, स्वास्थ्य केंद्रों, में तैनात होता है। स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी सेक्टर में इनका अहम रोल होता है। इनका प्रमुख कार्य हॉस्पिटल एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम, योजनाओं के मरीजों के लिए डॉक्टर द्वारा प्रेस्क्राइब्ड या लिखी गई दवा मरीजों को देते हैं। स्टॉक में दवाओं की उपलब्धता का भी ध्यान रखना इनकी ही जिम्मेदारी होती है।


Pharmacy me career option- फार्मेसी में कैरियर के विकल्प

Pharmacy में कैरियर के बहुत से ऑप्शन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। इसके अलावा इस फील्ड में खुद का स्वरोजगार में शुरू कर सकते हैं।

Pharmacist के तौर पर आप राज्य सरकार व केंद्र सरकार के तहत चलाये जा रहे हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य केंद्रों, रक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य संबंधी सरकारी योजनाओं, आदि विभागों में काम करने का मौका मिलता है।


इसके अलावा Pharmacist प्राइवेट नर्सिंग होम, हॉस्पिटल, क्लिनिक एंव डिस्पेंसरियों में भी आसानी से जॉब पा सकते हैं क्योकि वर्तमान समय मे हर गांव और शहरों में हॉस्पिटलस की बाढ़ सी आ गई है, जिस कारण Pharmacist की काफी मांग बढ़ी है। 


वंही D Pharma या बी फार्मा के बाद आप सेल्स एंड मार्केटिंग के सेक्टर में भी कैरियर बना सकते हैं। जंहा पर आपको विभिन्न ड्रैग मैनुफैक्चरिंग कंपनियों में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर कार्य करने का मौका मिलता है। आप इन कंपनियों में केमिस्ट, के तौर पर भी काम कर सकते हैं।

मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों में भी सेल्स एंड मार्केटिंग के लिए फार्मेसी बैकग्राउंड के उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती है। फार्मेसी सेक्टर में M Pharma करने के बाद रिसर्च और टीचिंग के फील्ड में भी शानदार मौके उपलब्ध होते हैं।  


सरकारी क्षेत्र में - Pharmacy career


आप राज्य या केंद्र सरकार के अस्पतालों, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभागों और सार्वजनिक दवा उत्पादन कंपनियों में फर्मासिस्ट की नियुक्ति टाइम- टाइम पर होती रहती है। इसी तरह दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण और उनकी जांच के लिए नियुक्त होने वाले ड्रग इंस्पेक्टर या सरकारी विश्लेषकों के चयन के लिए भी Pharmacy के जानकारों को भर्ती किया जाता है। इसके अलावा केंद्रीय सैन्य बलों में भी समय-समय पर पद पर Pharmacist की नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकली जाती हैं।



निजी क्षेत्र- Pharmacy Career


दवा का निर्माण करने और दवाओं के वितरण कार्य में लगी कंपनियां ब्रिकी व प्रचार कार्यों के लिए मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) की बड़े पैमाने पर नियुक्तियां करती हैं। फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त लोगों को इस पेशे में प्राथमिकता दी जाती है। जिसमे उनका काम दवा कंपनियां के उत्पादों के बारे में डॉक्टरों को बताना और संबंधित उत्पाद की बिक्री को बढ़ाना होता है। कुल मिलकर यंहा पर आपको दवाओं की विक्री बढ़ाने और प्रमोशन करना होता है।


ड्रग मैन्युफैक्चरिंग में कैरियर-


यह Pharmacy की अहम शाखा है। इस क्षेत्र में मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट, फार्मेकॉलजिस्ट, टॉक्सिकॉलजिस्ट या मेडिकल इंवेस्टिगेटर के तौर पर आप काम कर सकते हैं । इसमे मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट जीन संरचना और मेडिकल व ड्रग रिसर्च में प्रोटीन के इस्तेमाल का अध्ययन कराया जाता है। फार्मेकॉलजिस्ट इंसान के अंगों व ऊतकों पर दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन करता है। टॉक्सिकॉलजिस्ट दवाओं के नेगेटिव इफेक्ट को मापने के लिए टेस्टिंग करता है। मेडिकल इंवेस्टिगेटर नई दवाइयों के विकास व टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ा फील्ड है। 



 

प्राइवेट हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट


सरकारी हॉस्पिटल के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल में भी फार्मासिस्ट की जरूरत होती है। हॉस्पिटल फार्मासिस्ट्स पर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण, स्टॉकिंग और वितरण का जिम्मा होता है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होने की योग्यता होनी चाहिए।


क्लिनिकल रिसर्च में कैरियर


इसके अंतर्गत नई लॉन्च मेडिसिन के बारे में रिसर्च होती है कि वह कितनी सुरक्षित और असरदार है। इसके लिए क्लिनिकल ट्रॉयल होता है। देश में कई विदेशी कंपनियां क्लिनिकल रिसर्च के लिए आ रही हैं। दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण करना या क्लिनिकल रिसर्च करना शामिल होता है।


क्वॉलिटी कंट्रोलर


फार्मासूटिकल इंडस्ट्री का यह एक बहुत अहम कार्य माना जाता है। इसमे नई दवाओं के संबंध में अनुसंधान व विकास के अलावा यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित, स्थायी और आशा के अनुरूप हैं या नही।


ब्रैंडिंग ऐंड सेल्स प्रोमोशन


फार्मेसी की डिग्री के बाद स्टुडेंट ड्रग्स व मेडिसिन के सेल्स ऐंड मार्केटिंग में मेडीकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर करियर बना सकता है। मार्केटिंग प्रफेशनल्स उत्पाद की बिक्री के अलावा बाजार की प्रतिस्पर्धा पर भी नजर रखते हैं कि किस प्रॉडक्ट के लिए बाजार में ज्यादा संभावनाएं हैं, जिसके मुताबिक मार्केटिंग की प्लानिंग करते हैं।


मेडिकल इन्वेस्टिगेटर 


यह नई दवाइयों के टेस्टिंग व डिवेलपमेंट की प्रक्रिया से रिलेटिड है। हॉस्पिटल फार्मासिस्ट पर मेडिसिन व अन्य मेडिकल रिलेटिड सामग्रियों के स्टॉकिंग और डिस्ट्रिब्यूशन का जिम्मा होता है। रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को बिजनस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार करना होता है। 



 

अनुसंधान क्षेत्र में कैरियर


सरकारी संगठनों और निजी कंपनियां नई दवाओं की खोज व पुरानी दवाओं की क्षमता वृद्धि के लिए लगातार अनुसंधान करते रहते हैं। अपनी क्षमता और ज्ञान का इस्तेमाल नए उत्पादों के विकास में करने के लिए निजी या सार्वजनिक अनुसंधान संगठनों को चुना जा सकता है। इस कार्य में आमतौर पर एमफार्म या पीएचडी डिग्रीधारकों को शामिल किया जाता है।


टीचिंग में कैरियर


Pharmacy में M Pharam या फिर पीएचडी करने के बाद आप टीचिंग के क्षेत्र में जा सकते है। Pharmacy की पढ़ाई के लिए देश में काफी निजी और सरकारी संस्थान हैं। जरूरत के मुताबिक अब भी इस विषय के संस्थानों की कमी है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में कई संस्थानों के निर्माण और पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव भी लंबित है। इससे आने वाले समय में इस विषय के अध्यापन के लिए योग्य लोगों की मांग का बढ़ना भी स्वाभाविक है। लिहाजा शिक्षण कार्य के प्रति झुकाव होने पर फार्मेसी में पीजी स्तरीय पढ़ाई करने के बाद बतौर लेक्चरर आप कैरियर की शुरआत कर सकते हैं।


मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं-


D Pharma या B Pharma करने के बाद अगर आप जॉब नहीं करना चाहते हैं, तो आप खुद का मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं। मेडिकल स्टोर स्टार्ट करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है और इसे हासिल करने के लिए फार्मेसी में डिप्लोमा के साथ राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत होना जरूरी है। जिस राज्य के काउंसिल में आप खुद को पंजीकृत करवाएंगे, उसी के अधिकार क्षेत्र में आपको मेडिकल स्टोर खोलने का लाइसेंस मिलेगा।

अगर आपके पास बजट नही है तो आप जन औषधि केंद्र खोल सकते हैं जिसके लिए सरकार आपको अनुदान भी देती है। 






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