भारत में राष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया - President Election Process in India

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया - President Election Process in India

संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार राष्ट्रपति बनने के लिए निम्न योग्य अनिवार्य है:- 

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए |
  • उम्र 35 वर्ष न्यूनतम होनी चाहिए |
  • लोकसभा के सदस्य की योग्यता रखता हो |
  • लाभ के पद पर कार्यरत न हो (राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या संघ अ‍थवा किसी राज्य के मंत्रिपरिषद का सदस्य को लाभ का पद नहीं माना जाएगा) |

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे कराया जाता है? (President Election Process in India)

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता द्वारा किया जाता है अर्थात जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि पहले विधानसभा या संसद का सदस्य बनते है और आगे ये ही राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेते है | हालाकि हिस्सा ले रहे विधायक और सांसद के वोट का वेटेज अलग अलग होता है जिस्सी गणना अन्य प्रक्रिया से की जाती है इलेक्टोरल कॉलेज, जिसमे लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के सदस्य होते है, इस प्रक्रिया में हिस्सा लेते है | इसके बाद चुनाव प्रक्रिया में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम को अपनाया जाता है, जिसके फलस्वरूप देश का राष्ट्रपति का चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से संपन्न हो जाता है |

सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम क्या है 

इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले सदस्य अपने वोट में वरीयता के अनुसार अपना वोट डालते है अर्थात यह बैलट पेपर में सदस्य बता देते है कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद क्या है | यदि पहली पसंद के आधार पर चयन सम्पन्न नहीं होता है तो दूसरे चरण में उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को ट्रान्सफर करके एकल वोट के रूप में उपयोग किया जाता है | इस प्रकार सिस्टम को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है |

राष्ट्रपति चुनाव में वेटेज का निर्धारण

जैसा की पहले ही बता चुके है कि चुनाव प्रक्रिया में विधायक और सांसद भले ही एक एक वोट ही डाल सकते है लेकिन दोनों के वोट के वेटेज़ अलग अलग होता है, इसे निम्न विधि द्वारा निकाला जाता है:-

विधायक वोट का वेटेज

यह हर एक विधायक के लिए अलग हो सकता है और इसका निर्धारण उसके राज्य की जनसँख्या और विधानसभा क्षेत्र की संख्या पर निर्भर करता है | वेटेज निकलने के लिए उस प्रदेश की जनसँख्या को चुनित विधायक की संख्या से भाग दिया जाता है, इसके बाद जो प्राप्त हुआ उसे 1000 से भाग दिया जाता है | यही उस राज्य के विधायक के एक वोट का वेटेज होता है | यदि संख्या 500 से ज्यादा है तो इसमें 1 जोड़ दिया जाता है |

सांसद वोट का वेटेज

सभी विधानसभाओ के विधायको का वेटेज जोड़ने के बाद इसे संसद के सभी चुनित सदस्य द्वारा भाग दिया जाता है, इस तरह से जो संख्या प्राप्त होती है वही सांसद के एक वोट का वेटेज है | अगर प्राप्त संख्या 0.5 से ज्यादा आई तो उसमे 1 जोड़ दिया जाता है |

राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटो की गिनती कैसे होती है

  • इसमें ये जरूरी नहीं कि जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट ले प्राप्त कर ले तो वह विजय हो जाएगा | इसके लिए उस उम्मीदवार को सांसद और विधायको के कुल वोट के वेटेज का आधे से ज्यादा हिस्सा प्राप्त करना पड़ता है | चुनाव से पहले ही जीतने के लिए कितने वोट चाहिए होंगे, इसका निर्धारण राष्ट्रपति चुनाव में पहले से ही हो जाता है |
  • अब बात करते है राष्ट्रपति चयन प्रक्रिया के बारे में | अब वोटिंग शुरू हो जाती है और सभी सदस्य अपना वोट वरीयता के अनुसार बैलट पेपर के माध्यम से डाल देते है | वोटिंग समाप्त होने के बाद, अब गिनती शुरू की जाती है और सभी मतो में से पहली वरीयता प्राप्त मतो के अनुसार देखा जाता है कि किसी उम्मीदवार ने निर्धारित वेटेज कोटा प्राप्त किया है या नहीं | यदि पहले चरण में कोई उम्मीदवार कोटा प्राप्त नहीं करता है तो पहले चरण में सबसे कम मत मिलने वाले उम्मीदवार को प्रक्रिया से निकल दिया जाता है |
  • अब दूसरे चरण में सदस्य द्वारा दिए दूसरी वरीयता के वोट को गिना जाता है और फिर से देखा जाता है कि किसी उम्मीदवार ने निर्धारित कोटा प्राप्त किया है या नहीं | यदि वह कोटा के अनुरूप वोट प्राप्त कर लेता है तो उसे राष्ट्रपति घोषित कर दिया जाता है | यदि नहीं होता है तो अगली वरीयता के वोट गिने जाते है और सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता है |
  • प्रक्रिया को यदि पूरा करे तो सबसे अंतिम में जो उम्मीदवार शेष रहता है वही विजय घोषित कर दिया जाता है | और राष्ट्रपति का चुनाव पारदर्शी रूप से संपन्न किया जाता है | एक बात ध्यान रखे कि वोटिंग प्रक्रिया में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य हिस्सा नहीं ले सकते क्योंकि वे जनता द्वारा नहीं चुने गए है |











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