भारत में राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य

 

भारत में राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य

भारत के राष्ट्रपति को देश में प्रथम नागरिक के रूप में संज्ञा दी गयी है | संविधान द्वारा राष्ट्रपति को लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की शक्ति दी गयी है, जिनके बारे में हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे | देश के राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में हम पहले ही चर्च कर चुके है और आज इस लेख के माध्यम से आप सभी देश के राष्ट्रपति के कार्य और शक्तियों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया जाएगा |

जैसे कि हम जानते है राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता के द्वारा ही होता है किन्तु फिर भी संविधान में निहित शक्तिया को कार्यपालिका में भी विभाजन किया गया है जिससे एक संतुलन लोकतंत्र का अस्तित्व हमेशा रहे | देश हित में राष्ट्रपति संविधान में निहित इन्ही शक्तियों के आधार पर अपना फैसला लेता है, इसे निम्न क्षेत्रो में देखा जा सकता है:- 

  • भारत में शासन से सम्बन्धी कार्य राष्ट्रपति के द्वारा या नाम पर किया जाते है |
  • भारत के प्रधानमन्त्री सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों की नियुक्ति और उनके बीच मंत्रालय का बटवारा राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है |
  • महान्यायवादी (Attorney general), महानियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG), मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्त, UPSC अध्यक्ष , वित्त आयोग अध्यक्ष व राज्यपाल (Governor) की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा ही किया जाता है |
  • प्रधानमन्त्री से केंद्र सरकार सम्बन्धी कार्य के बारे में जानकारी मांग सकता है |

विधायी शक्तिया (Legislative Powers)

  • अनुच्छेद79 के अनुसार राष्ट्रपति भारत की संसद का अभिन्न हिस्सा माना गया है और इसी के तहत उसे विधायी शक्तिया प्राप्त होती है |
  • राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को बुला सकता है और सत्र को समाप्त करने की घोषणा कर सकता है |
  • प्रधानमन्त्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है |
  • राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से बुला सकता है और उसकी अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है |
  • राज्यसभा में राष्ट्रपति 12 सदस्यों व 2 एंग्लो इंडियन को मनोनीत करता है |

वित्तीय शक्तिया (Financial Powers)

  • संसद में धन विधेयक बिना राष्ट्रपति की अनुमति बिना पेश नहीं किया जा सकता |
  • अनुदान या वित्तीय सम्बंधित मांग राष्ट्रपति की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता |
  • भारत की संचित निधि से अग्रिम भुगतान के संबंध में अधिकार राष्ट्रपति के पास है |
  • वित्त आयोग का गठन प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया के द्वारा ही किया जाता है |

न्यायिक शक्तिया (Judicial Power)

  • राष्ट्रपति देश में स्थापित उच्च व उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायधीश व उच्च न्यायधीशो की नियुक्ति करता है |
  • राष्ट्रपति उच्चतम न्यायलय द्वारा सलाह ले सकता है परन्तु सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है |
  • अनुच्छेद70 के द्वारा राष्ट्रपति को क्षमादान, दंड की प्रक्रति बदलने का अधिकार प्राप्त है |

सैन्य शक्तिया (Military Power)

राष्ट्रपति तीनो सेना का अध्यक्ष होता है और देश में केंद्र की सिफारिस पर युद्ध समाप्त या होने की घोषणा कर सकता है |

आपातकालीन शक्तिया (Emergency Power)

राष्ट्रपति आपातकाल के समय अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपातकाल), अनुच्छेद 356,365 (राष्ट्रपति शासन) व अनुच्छेद 360 (वित्त आपातकाल) लोक हित में लगा सकता है |

राष्ट्रपति की वीटो पॉवर या शक्तिया (Veto Power of President of India)

संविधान में निहित राष्ट्रपति की शक्तियों के आधार पर निम् प्रकार वीटो का प्रयोग कर सकता है:-

आत्यायिक वीटो (Absolute Power)

राष्ट्रपति देश हित में किसी विधेयक को अपने पास सुरक्षित रख सकता है अर्थात संसद द्वारा पास यह विधेयक समाप्त हो जाता है | यह निम्न प्रकार से लागू होता है:-

  • गैर सरकारी सदस्य के विधेयक के संबंध में |
  • सरकारी विधेयक के संबंध में जब मंत्रिमंडल इस्तीफा दे दे 

निलंबनकारी वीटो (Suspension Veto)

जब संसद कोई विधेयक पारित करने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजती है तो राष्ट्रपति इसे पुनर्विचार के लिए वापस संसद को भेज सकता है | यह अधिकार निलंबनकारी वीटो के तहत मिलता है |

पॉकेट वीटो (Pocket Veto)

जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को न तो सहमति प्रदान करता है और न ही इसे अस्वीकृत करता है अपितु अपने पास अनिश्चित काल के लिए पास रख लेता है | यह अधिकार पॉकेट वीटो के माध्यम से प्राप्त होता है |

राष्ट्रपति के अध्यादेश सम्बन्धी अधिकार (President Ordinance Power)

अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति जब संसद का सत्र न चल रहा हो, अध्यादेश जारी कर सकता है तथा यह उतना ही शक्तिशाली और महत्वपूर्ण होता है जितना कि संसद द्वारा पास किया गया विधेयक होता है | इसमें निम्न प्रकार से प्रावधान किया गया है:-

  • यह अध्यादेश सत्र प्रारंभ होने के केवल 6 सप्ताह तक ही मान्य होगा|
  • संसद इससे पहले भी अध्यादेश ख़तम कर सकती है |
  • अध्यादेश बनाने की शक्ति केवल राष्ट्रपति को उन्ही मामलो मी मिलती है जिनपर संसद सरकार बना सकती है |




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