श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द (Homonyms Words) की परिभाषा
ऐसे शब्द जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक-से लगते हैं, परंतु अर्थ की दृष्टि से भिन्न्न होते हैं, श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैं, परन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द 'श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द' कहलाते हैं।
जैसे- घन और धन दोनों के उच्चारण में कोई खास अन्तर महसूस नहीं होता परन्तु अर्थ में भिन्नता है।
घन= बादल
धन= सम्पत्ति
हिंदी भाषा में ऐसे बहुत से शब्द हैं, जिनमें से कुछ की सूची नीचे दी जा रही है :
शब्द |
अर्थ |
शब्द |
अर्थ |
(1)
बहु |
अत्यधिक |
(2)
गाड़ी |
यान |
(3)
बहार |
शोभा |
(4)
नियत |
निश्चित |
(5)
खोलना |
बन्धनमुक्त करना |
(6)
गिरि |
पर्वत |
(7)
कोश |
म्यान |
(8)
वात |
हवा |
(9)
सकल |
पूरा |
(10)
पास |
निकट |
(11)
आदि |
प्रारम्भ |
(12)
तरणि |
सूर्य |
(13)
लक्ष |
लाख |
(14)
प्रसाद |
कृपा |
(15)
कृति |
रचना |
(16)
गृह |
घर |
(17)
हाल |
दशा |
(18)
बुरा |
खराब |
(19)
चर्म |
चमड़ा |
(20)
इति |
समाप्त |
(21)
अचार |
खट्टा खाद्य पदार्थ |
(22)अधम |
नीच |
(23)
बली |
शक्तिशाली |
(24)
बार |
पुनः |
(25)
अवधि |
समय |
(26)
पृष्ट |
पूछा हुआ |
(27)
अन्न |
अनाज |
(28)
सम |
समान |
(29)
सर |
तालाब |
(30)
जवान |
युवा |
(31)
कुल |
वंश |
(32)
छात्र |
विद्यार्थी |
(33)
चिर |
देर |
(34)
उपकार |
भलाई |
(35)
अंस |
कन्धा |
(36)
भवन |
घर |
(37)
अविराम |
लगातार |
(38)
क्रम |
सिलसिला |
(39)
सन |
जूट |
(40)
सीसा |
एक धातु |
(41)
व्रत |
उपवास |
(42)अध्ययन |
पढ़ना |
(43)अंबर |
वस्त्र, आकाश |
(44)अगम |
दुर्गम |
(45)अन्यान्य |
दूसरे |
(46)अरि |
शत्रु |
(47)अवसान |
समाप्ति |
(48)आयात |
बाहर से आना |
(49)इंदिरा |
लक्ष्मी |
(50)कंगाल |
गरीब |
(51)कंजर |
खानाबदोश या घुमक्कड़ लोग |
(52)कड़ाई |
सख्ती |
(53)काठ |
लकड़ी |
(54)कृपण |
कंजूस |
(55)खान |
खदान |
(56)गुर |
उपाय |
(57)तनु |
दुबला-पतला शरीर |
(58)दिन |
दिवस |
(59)देव |
देवता |
(60)द्रव |
तरल पदार्थ |
(61)निर्वाण |
मृत्यु |
(62)चरम |
अंतिम |
(63)पका |
पका हुआ |
(64)पथ |
रास्ता |
(65)पानी |
जल |
(66)पुर |
नगर |
(67)पवन |
वायु |
(68)प्रणय |
प्रेम |
(69)बाग |
बगीचा, उद्यान |
(70)भवन |
महल |
(71)लक्ष्य |
उद्देश्य |
(72)शंकर |
भगवान शिव |
(73)शोक |
दुख |
(74)शम |
शांति |
(75)शूर |
वीर |
(76)शस्त्र |
हथियार |
(77)श्रवण |
सुनना, कान |
(78)सर्ग |
अध्याय |
(79)साला |
पत्नी का भाई |
(80)हय |
घोड़ा |
(1) असन- भोजन- संतुलित असन स्वास्थ्यकर होता है।
आसन-बैठने की वस्तु-मेरे गुरु महाराज आसन पर बैठ गये।
आसत्र-निकट-'मैंने देखा है'- आसत्रभूत का उदाहरण है।
(2) अवधि-समय सीमा- अल्पावधि (कम समय में) में ही मेरा छोटा भाई अंग्रेजी सीख गया।
अवधि-भाषा विशेष- 'रामचरितमानस' की भाषा अवधी है।
(3) अवमर्ष-स्पर्श, संपर्क- भाग्यशालियों को संतों का अवमर्श प्राप्त होता है।
अवमर्ष-विचार-विमर्श, आलोचना- कोई निर्णय लेने से पहले बुद्धिमानों से अवमर्ष आवश्यक है।
(4) अंस-कंधा- मेरे अंसों पर पूरे परिवार का भार है।
अंश-हिस्सा- सबको अपना-अपना अंश मिलना चाहिए।
(5) अलि-भौंरा- फूलों पर बहुत-से अलि मँडरा रहे है।
अली-सखी- राधा की एक अली का नाम शांता था।
(6) अपेक्षा-आकांक्षा, इच्छा- मैं आपसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करता हूँ।
उपेक्षा-निरादर- किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(7) अनिष्ट-बुराई- अच्छे लोग दूसरों का अनिष्ट नहीं करते।
अनिष्ठ-निष्ठारहित- अनिष्ठ समाज में सम्मानित नहीं होते।
(8) अयस-लोहा- अयस से अस्त्र-शस्त्र निर्मित होते है।
अयश-अपयश- अयश से बचना चाहिए।
(9)द्रव-रस, पिघला हुआ- जल द्रव है।
द्रव-धन, पदार्थ- द्रव्य दिन-प्रतिदिन महँगे होते जा रहे है।
(10) द्विप-हाथी- द्विप विशालकाय होते है।
द्वीप-टापू- श्रीलंका एक द्वीप है।
(11) नीर-पानी- भाषा बहता हुआ नीर होती है।
नीड़-घोंसला- रात में पंछी अपने-अपने नीड़ों में विश्राम करते हैं।
(12) प्रकार-रीति- इस बाग में विभिन्न प्रकार के फूल खिले हैं।
प्राकार-किले का अंग- प्राकार ध्वस्त हो रहा है
(13) वसन-वस्त्र- उसके वसन पुराने किन्तु स्वच्छ थे।
व्यसन-आदत- जुए का व्यसन बहुत खराब होता है।
(14) परुष-कठोर- प्रस्तर (पत्थर) परुष होता है।
पुरुष-व्यक्ति- आज के पुरुषों में पुरुषत्व नहीं रह गया है।
(15) कर्म-कार्य- कर्म का फल अवश्य मिलता है।
क्रम-सिलसिला- क्रम में छात्र आते गये और अपना-अपना पुरस्कार लेते गये।
(16) मास-महीना- साल में बारह मास होते है।
मांस-गोश्त- उस भिखारी के शरीर पर मांस नहीं था।
(17) मद्य-शराब- मद्यपान से स्वास्थ्य खराब होता है।
मध्य-बीच- नौका नदी के मध्य डूब गई।
(18) कुल-वंश- जयंत के कुल में जगदीश ऐसा कोई पुत्र नहीं हुआ।
कूल-किनारा- नौका कूल पर लग गई।
(19) बात-वचन- उसकी बात में सच्चाई है।
वात-हवा- वात धीरे-धीरे बह रहा है।
(20) श्रवण-कान- श्रवणों में नुकीली चीज कभी नहीं डालनी चाहिए।
स्त्रवन-बहना- उसकी आँखों से आँसू स्त्रवित होने लगे।
(21) सूची-अनुक्रमणिका, विवरणिका- सामानों की सूची लिख लीजिये।
शुचि-पवित्र- पूजा-पाठ में शुचिता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
सूची-सूई- सूची और सूत्र (धागा) का अन्योन्याश्रित संबंध होता है।
(22) शौर्य-शूरता- राणा प्रताप शौर्य के प्रतीक थे।
सौर्य/सौर-सूर्य से संबद्ध- सौर्य तेज से ही हम जीवित है।/सौर-मंडल में अनेक ग्रह है।
(23) स्रोत-सोता- भयंकर गर्मी के कारण पानी के सभी स्रोत सूख गये है।
श्रोत-वेद- श्रोत चार है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
(24) स्वक्ष-सुंदर आँख- उसके स्वक्षों में जादू है।
स्वच्छ-साफ- स्वच्छ पानी पीना चाहिए।
(25) शर्व-शिव- शर्व को महादेव भी कहते हैं।
सर्व-सब- सर्व प्राणियों में आत्मा का निवास होता है।
(26)सुत-बेटा- राम दशरथ के बड़े सुत थे।
सूत-सारथि/धागा- कृष्ण अर्जुन के सुत (सारथि, रथ हाँकनेवाले) थे।/ महीन सूत से बना कपड़ा टिकाऊ होता है।
(27) शुक-सुग्गा- शुक डाल पर बैठा अमरुद खा रहा है।
शूक- जौ की बाल/पौधे के कड़े रोयें- शूक में महीन और लंबे-लंबे रोयें होते हैं।
(28) लक्ष्य-उद्देश्य- मेरे जीवन का लक्ष्य सुयोग्य डॉक्टर बनना है।
लक्ष-लाख- राजा ने मंत्री को दो लक्ष मुद्रायें दीं।
(29) मूल-जड़- सुनील सारी झंझटों का मूल है।
मूल्य-दाम- मूल्यवृद्धि से उपभोक्ता परेशान है।
(30) विजन-मनुष्य रहित स्थान- वह भटकता हुआ विजन में पहुँच गया था।
व्यजन-पंखा- गर्मी में व्यजन से राहत मिलती है।
व्यंजन-सब्जी, तरकारी- कल दीदी ने स्वादिष्ट व्यंजन बनायी थी।
(31)यथेष्ट-जैसा चाहा हो गया- मुझे मेरे परिश्रम का यथेष्ट पुरस्कार नही मिला।
स्थेष्ट-अत्यंत दृढ- उमेश बाबू स्थेष्ट संकल्प के व्यक्ति है।
(32) परिणाम-फल- जैसा सोचा था वैसा परिणाम नहीं मिला।
परिणाम-मात्रा- अल्प परिणाम में दवा लेनी है।
(33) कृति-रचना- 'रामचरितमानस' एक महान कृति है।
कृती-निपुण- अनूप जलोटा कृती गायक है।
कीर्ति-यश- उनकी कीर्ति चारों ओर फैल गयी।
(34) सामान-पदार्थ- विवाह में लगनेवाले सामानों की सूची तैयार करनी है।
समान-बराबर, सदृश्य- गाँधी के समान सत्य और अहिंसा के प्रेमी बहुत ही कम होंगे।
सम्मान-आदर- बड़ों को सम्मान देना चाहिए।
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