नगर पंचायत क्या होती है
पंचायत राज व्यवस्था (THE PANCHAYATS) में ग्रामीण स्थानीय निकाय के रूप में ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की तर्ज़ पर शहरी स्थानीय के रूप में नगर पंचायत स्थापित किया गया | 74वें संविधान संसोधन के रूप में शहरी स्थानीय शासन को भी त्रिस्तरीय पर विभाजित किया गया इसमें सबसे छोटी इकाई नगर पंचायत के बाद नगरपालिका परिषद (Municipal Council) व नगर निगम (Municipal Corporation) को प्रस्तावित किया गया | वैसे तो संविधान (The Constitution of India) में पहले से (अनुच्छेद-40 में) स्थानीय निकाय को मान्यता दी गयी थी परन्तु आशा अनुरूप कार्य न होने पर केंद्र सरकार को स्थानीय शासन को ज्यादा सशक्त करने कर लिए संविधान में संसोधन करना पड़ा
यह शहरी स्थानीय निकाय के त्रिस्तरीय रूप में सबसे छोटी इकाई है | नगरपालिका व्यवस्था के अनुसार नगर पंचायत को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है:-
“ऐसे क्षेत्र जो ग्राम से शहरी क्षेत्र बनने की ओर अग्रसर है, नगर पंचायत के रूप में निर्धारित किये गए है”
संविधान द्वारा 12वीं सूची में निर्धारित 18 विषयों पर नगरपालिका को कानून बनाने का अधिकार दिया गया |
संविधान द्वारा 12वीं सूची में विषय
- नगरीय योजना।
- भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण।
- आर्थिक व सामाजिक विकास योजना।
- सड़कें और पुल।
- घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रयोजनों के लिये जल आपूर्ति।
- लोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सफाई और कूड़ा करकट प्रबंधन।
- अग्निशमन सेवाएँ।
- नगरीय वानिकी, पर्यावरण का संरक्षण और पारिस्थितिक आयामों की अभिवृद्धि ।
- समाज के दुर्बल वर्ग, जिनके अंतर्गत दिव्यांग और मानसिक रूप से मंद व्यक्ति भी हैं, के हितों की रक्षा।
- झुग्गी बस्ती सुधार और प्रोन्नयन।
- नगरीय निर्धनता उन्मूलन।
- नगरीय सुख-सुविधाओं और अन्य सुविधाओं, जैसे- पार्क, उद्यान, खेल के मैदान आदि की व्यवस्था।
- सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सौंदर्यपरक आयामों की अभिवृद्धि।
- शव गाड़ना और कब्रिस्तान, शवदाह और श्मशान तथा विद्युत शवदाह गृह।
- कांजी हाऊस पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण।
- जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण।
- सार्वजनिक सुख सुविधाएँ, जिसके अंतर्गत सड़कों पर प्रकाश, पार्किंग स्थल, बस स्टॉप और जन सुविधाएँ भी हैं।
- वधशालाओं और चर्मशोधनशालाओं का विनियमन।
नगर पंचायत का गठन व चुनाव प्रक्रिया (Composition and Election Process ofNagar Panchayat)
- नगर पंचायत का चुनाव नगरपालिका के निर्वाचन क्षेत्रो से प्रत्यक्ष रूप सेहोता है और सीटो का आवंटन चुने हुए प्रतिनिधियों को किया जाता है |
- नगरपंचायत का चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है और अवधि समाप्त होने पर अथवा बीच में विधानमंडल द्वारा कार्यकाल बीच में भंग होने पर 6 महीने के भीतर ही चुनाव करने का प्रावधान है |
- नगरपालिका में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिये सीटें आरक्षित किये जाने का भी प्रावधान किया गया है |
- महिलाओ के लिए एक तिहाई सीटो को आरक्षित किया गया है (कुलसीटो का)
- सभासदों द्वारा इसमें भी अध्यक्ष चुना जाता है जो 5 साल के लिए शासन करता है तथा क्षेत्र में विकास कार्यकराता है |
- प्रशासन के कार्यअधिशाषी अधिकारी द्वारा किये जाते है |
0 Comments