Securities and Exchange Board of India

 सेबी (SEBI) का फुल फार्म “सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (Securities and Exchange Board of India)” है | हिंदी में इसे ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ कहा जाता है | सेबी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शेयर मार्केट में निवेश करनें वाले लोगो को धोखाधड़ी तथा स्कैम आदि से सुरक्षित रखना है 

सेबी का क्या मतलब है ?

सेबी एक सांविधिक निकाय और एक बाजार नियामक है, जो भारत में प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित करता है। सेबी का मूल कार्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाजार को बढ़ावा देना और विनियमित करना है | सेबी का संचालन बोर्ड के सदस्यों द्वारा किया जाता है |

बोर्ड में एक अध्यक्ष और कई अन्य अंशकालिक सदस्य होते हैं। जिसमें अध्यक्ष का नामांकन सरकार द्वारा किया जाता है | अन्य में वित्त मंत्रालय के दो सदस्य, भारतीय रिजर्व बैंक के एक सदस्य और पांच अन्य सदस्य भी केंद्र द्वारा नामित हैं | सेबी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में स्थित हैं |

सेबी की स्थापना का उद्देश्य (Objective Of Setting Up SEBI)  

1980 के दशक के दौरान, जनता की बढ़ती भागीदारी के कारण पूंजी बाजार में जबरदस्त वृद्धि हुई | इसके कारण कीमतों में हेराफेरी, नए मुद्दों पर अनधिकृत प्रीमियम, स्टॉक एक्सचेंजों के नियमों और नियमों का उल्लंघन और लिस्टिंग आवश्यकताओं, दलालों, व्यापारी बैंकरों, कंपनियों, निवेश सलाहकारों और अन्य लोगों द्वारा शेयरों की डिलीवरी में देरी आदि अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होनें लगी |

इसके परिणामस्वरूप लोगो का विश्वास शेयर मार्केट से खोने लगा और निवेशकों द्वारा इसकी शिकायत की गयी परन्तु सरकार और स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों की इन शिकायतों का निवारण करने में सक्षम नहीं थे। ऐसे में सरकार को एक प्राधिकरण स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके परिणामस्वरूप सरकार द्वारा सेबी की स्थापना की गयी | 

सेबी के कार्य व अधिकार (Functions & Powers Of SEBI)

सेबी के कार्यों को व्यापक रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है-

1. सुरक्षात्मक कार्य (Protective work)

  • सुरक्षात्मक कार्यों के अंतर्गत सेबी के कार्य इस प्रकार है-
  • मूल्य निर्धारण की जाँच करना |
  • इनसाइडर ट्रेडिंग पर प्रतिबन्ध लगाना |
  • धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहारों को प्रतिबंधित करना |
  • निवेशकों में जागरूकता उत्पन्न करना |

2. विकासात्मक कार्य (Developmental Work)

विकासात्मक श्रेणी के अंतर्गत सेबी के कार्य इस प्रकार है-

  • बिचौलियों या ब्रोकरो को प्रशिक्षण देना |
  • निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना |
  • निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना और दुर्भावनाओं को कम करना |
  • रिसर्च कार्य को अंजाम देना |
  • स्व-विनियमन संगठनों को प्रोत्साहित करना |
  • ब्रोकर के माध्यम से सीधे एएमसी से म्यूचुअल फंड खरीदें-बेचें |

3.विनियामक कार्य (Regulatory Functions)

स्टॉक एक्सचेंज की गतिविधियों को विनियमित करने के लिए कार्य इस प्रकार है-

  • सेबी ने नियमों और विनियमों और व्यापारी बैंकरों, दलालों, अंडरराइटर जैसे मध्यस्थों को विनियमित करने के लिए एक आचार संहिता तैयार की है |
  • सेबी स्टॉक ब्रोकर, सब-ब्रोकर, शेयर ट्रांसफर एजेंट, ट्रस्टी, मर्चेंट बैंकर और उन सभी के कार्यों को पंजीकृत करता है, जो किसी भी माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े हुए हैं |
  • कंपनियों के अधिग्रहण को नियंत्रित करनें का कार्य सेबी द्वारा किया जाता है |
  • एक्सचेंजों की पूछताछ और ऑडिट आयोजित करना |

सेबी की शक्तियां (Powers Of SEBI)

सेबी के पास नियामक संस्था के रूप में तीन प्रमुख शक्तियां हैं, जो इस प्रकार हैं-

1.अर्ध-न्यायिक शक्तियां (Quasi-Judicial Powers)

प्रतिभूति बाजार (Securities Market) से संबंधित धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार के मामलों में सेबी को निर्णय पारित करने की शक्ति या अधिकार है। यह शक्ति प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने की सुविधा देती है।

2.अर्ध-कार्यकारी शक्तियां (Quasi-Executive Powers)

सेबी के पास नियमों का उल्लंघन करनें पर उसके विरुद्ध साक्ष्य का प्रमाण एकत्र करने के लिए बुक ऑफ अकाउंट्स और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच करने की शक्ति है। यदि यह नियमों का उल्लंघन करता है, तो नियामक संस्था के पास नियम लागू करने, निर्णय पारित करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त है |

3.अर्ध-विधायी शक्तियां (Quasi-Legislative Powers)

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी को उपयुक्त नियम और कानून बनाने की शक्ति प्रदान की गयी है | इसके कुछ रेगुलेशंस में लिस्टेड लायबिलिटी, बिज़नेस रूल्स और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स शामिल हैं और इनको दुर्भावना से बचाने के लिए तैयार किया गया है। इन शक्तियों के बावजूद सेबी को सिक्योरिटीज ट्रिब्यूनल ऑफ़ इंडिया  (भारतीय प्रतिभूति न्यायाधिकरण) और भारत के सर्वोच्च न्यायालय से गुजरना पड़ता है |

सेबी की संरचना (Structure of SEBI)

सेबी के बोर्ड में नौ सदस्य शामिल होते है, जो इस प्रकार है- 

  • बोर्ड का एक अध्यक्ष – भारत सरकार के केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाता है |
  • एक बोर्ड सदस्य – केंद्रीय बैंक अर्थात आरबीआई द्वारा नियुक्त किया जाता है |
  • दो बोर्ड के सदस्य – केंद्रीय वित्त मंत्रालय से नियुक्त किये जाते है |
  • पांच बोर्ड सदस्य – भारत की केंद्र सरकार द्वारा चुने गए |

सेबी के अध्यक्ष, बोर्ड की देखरेख के अलावा, संचार, सतर्कता और आंतरिक निरीक्षण विभाग पर भी नज़र रखते हैं | संगठनात्मक संरचना में चार पूर्णकालिक सदस्य हैं | पूरे समय के सदस्यों को कई विभागों आवंटित किये जाते है, जिनकी उन्हें देखरेख करनी होती है | प्रत्येक विभाग व्यक्तिगत रूप से एक कार्यकारी निदेशक के नेतृत्व में होता है | कार्यकारी निदेशक विशिष्ट पूर्णकालिक सदस्यों को रिपोर्ट करते हैं | सेबी की संगठनात्मक संरचना में 25 से अधिक विभाग शामिल हैं |




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