जीआई टैग (GI Tag) क्या होता है
हम सभी जानते है कि भारत विवधताओं से परिपूर्ण देश है, यहाँ पर जो चीजे पूर्व में पाई जाती है, वह पश्चिम में नहीं है और जो चीजे पश्चिम में पाई जाती है, वह पूर्व में नहीं पाई जाती है | इसी प्रकार उत्तर भारत और दक्षिण में है | कुल मिलाकर भारत के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग-अलग विशेषताएं है, जिससे उनकी पहचान जुड़ी होती है |
इन चीजों की इन्ही खासियत या गुणवत्ता के कारण सरकार द्वारा उन्हें जीआई टैग प्राप्त होता है |
जीआई टैग (GI Tag) का फुल फार्म “जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (Geographical Indication) टैग” है, इसे हिंदी में “भौगोलिक संकेत” कहते है | यह टैग मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है |
जीआई टैग किसी भी उत्पाद के लिए एक ऐसा प्रतीक होता है, जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, पहचान और गुणवत्ता के लिए दिया जाता है। जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी विशेषता को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में कहे तो, जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी एक अलग पहचान का प्रमाण है |
भारत में सबसे पहला जीआई टैग वर्ष 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया था और इसके बाद से जीआई टैग प्रति वर्ष किसी न किसी उत्पादक को अपनी मूल क्षेत्रीय पहचान के कारण दिया जाता है | भारतीय संसद नें वर्ष 1999 में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन्स ऑफ़ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट लागू किया था, जो सितम्बर 2003 से लागू हुआ था | जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग (GI Tag) को उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है |
इसके आधार पर किसी वस्तु को विशिष्ट स्थान से जुड़े होनें के कारण कानूनी दर्जा प्राप्त हो जाता है | अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के TRIPS समझौते के अंतर्गत विनियमित (Regulate) किया जाता है | भारत में किसी वस्तु को जीआई टैग देने से पहले उसकी अच्छी तरह से जाँच पड़ताल की जाती है और यह निश्चित किया जाता है, कि मूल रूप से उसका निर्माण या उसकी पैदावार उसी क्षेत्र या राज्य की है, जिस स्थान के लिए दावेदारी की गयी है |
जीआई टैग अधिनियम से सम्बंधित जानकारी (GI Tag Act Related Information )
- औद्योगिक संपत्ति (Industrial Property) के संरक्षण के लिए जीआई टैग को पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के रूप में शामिल किया गया है |
- इंटरनेशनल स्तर पर जीआई टैग का रेगुलेशन वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (WTO) के द्वारा किया जाता है |
- राष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग का रेगुलेशन ज्योग्राफिकल इंडिकेशन्स ऑफ़ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999 के अंतर्गत किया जाता है |
- जीआई टैग का कानूनी अधिकार प्राप्त करने के लिए चेन्नई स्थित जीआई टैग डेटाबेस में आवेदन करना होता है |
- जीआई टैग का अधिकार मिलनें के पश्चात यह 10 वर्षों तक मान्य होता है, यह अवधि समाप्त होनें पर इसे रिन्यूअल करना होता है |
जीआई टैग से लाभ (Benefit From GI Tag)
- जीआई टैग मिलनें के बाद उस उत्पाद के दाम अच्छे मिलते है अर्थात बढ़ जाते है |
- जीआई टैग मिलनें के कारण उन उत्पादों का निर्यात बढ़ जाता है |
- भौगोलिक संकेत मिलनें से आपके क्षेत्र की पहचान उस उत्पाद से जुड़ जाती है, जिससे उस क्षेत्र की एक अलग पहचान बन जाती है |
- उत्पाद की गुणवत्ता पर लोगो का विश्वास बढ़ जाता है, जिससे उत्पादकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार के द्वार खुल सकते है |
- जीआई टैग मिलनें से उत्पादकों के राजस्व में वृद्धि और इस क्षेत्र में रोजगार सृजन होता है |
जीआई टैग प्राप्त करनें वाले राज्य (States Receiving GI Tags)
भारत में सबसे पहले जीआई टैग वर्ष 2004 में दार्जिलिंग चाय को मिला था | इसके आलावा जयपुर के ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी, चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, तिरुपति के लड्डू और मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना, उत्तर प्रदेश का मलिहाबादी आम सहित लगभग 300 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है|
जीआई टैग प्राप्त करनें की प्रक्रिया (Process of Obtaining GI Tag)
भौगोलिक संकेत अर्थात जीआई टैग प्राप्त करनें के लिए कोई भी व्यक्तिगत निर्माता, कोई वैध संगठन द्वारा आवेदन किया जा सकता है | यह टैग किसी एक व्यक्ति को नही मिलता है | जीआई टैग के लिए चेन्नई स्थित Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) के ऑफिस में आवेदन करना होता है | आवेदन के पश्चात संस्था द्वारा पूरी जाँच की जाती है | जाँच सही पाए जानें पर जीआई टैग प्रदान किया जाता है |
जीआई टैग मिलनें के साथ ही सरकार द्वारा सर्टिफिकेट और एक लोगो प्रदान किया जाता है, जिसका प्रयोग सिर्फ एक ही समुदाय कर सकता है, जिसके लिए जीआई टैग जारी किया गया है | आपको बता दें, कि जीआई टैग 10 वर्षो के लिए मान्य होता है| दस वर्ष की समय अवधि समाप्त हो जानें के पश्चात एक निर्धारित शुल्क का भुगतान कर रिन्यूअल कराना होता है, जिससे इस टैग की अवधि अगले 10 वर्षी के लिए बढ़ जाती है |
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