नन्द (नन्द गोप या नन्द बाबा), हरिवन्श व पुराणो के अनुसार "पावन ग्वाल" के रूप मे विख्यात यादव गोपालक जाति के मुखिया थे। वह भगवान कृष्ण के पालक पिता थे।
नन्द प्राचीन यादव साम्राज्य के शक्तिशाली मंडलों में से एक, गोकुल मण्डल के मंडलाधीश या प्रमुख थे। रिश्ते में नन्द और वसुदेव चचेरे भाई थे। वसुदेव ने अपने नवजात शिशु कृष्ण को लालन पालन हेतु नन्द को सौंप दिया था। नन्द व उनकी पत्नी यशोदा ने कृष्ण व बलराम दोनों को पाला-पोसा। नन्द का पुत्र होने के नाते कृष्ण का एक नाम "नंद-नंदन" , नंदलाल , नंद कुमार भी है।
कृष्ण चरित्र
भागवत पुराण के अनुसार, गोकुल राज्य के राजा नन्द, राजा वसुदेव के चचेरे भाई थे।
राजा वसुदेव का विवाह मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की पुत्री देवकी से हुआ था। देवकी कंस की चचेरी बहन थीं | कंस ने अपने पिता उग्रसेन को कारागार मे डाल कर मथुरा का राज्य स्वयं हड़प लिया था। देवकी के आठवें पुत्र द्वारा कंस के वध की आकाशवाणी के प्रभाव मे कंस ने देवकी सभी पुत्रो को जन्म के समय ही मार देने की योजना बनाई थी। इस प्रकार देवकी के छः पुत्रों का वध कर दिया गया। परंतु सातवें पुत्र के गर्भ को योगमाया द्वारा रोहिणी के गर्भ मे स्थापित कर दिया गया, रोहिणी वसुदेव की पहली पत्नी थीं जो राजा नन्द के संरक्षण में रह रही थी, उनके बलराम नामक पुत्र उत्पन्न हुआ तथा कृष्ण को स्वयं वसुदेव ने नन्द के हाथों में सौंपा था। कृष्ण व बलराम दोनों को गोप नरेश नन्द व उनकी पत्नी यशोदा ने पाल- पोस कर बड़ा किया।
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