अर्जुन

महाभारत के मुख्य पात्र हैं। इंद्रदेव एवं कुन्ती के पुत्र थे। पांडवों में चौथे स्थान पर थे । महाराज पांडु इनके आध्यात्मिक पिता थे। कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी , पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री द्रौपदी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः कर्णयुधिष्ठिरभीमसेननकुलसहदेव

अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होंने अपने श्रेष्ठ धनुर्धारी होने का परिचय दिया। इन्होने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये भी एक प्रमुख योद्धा थे। अर्जुन ने ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण से अनेकों प्रश्न किये जो गीता में वर्णित हैं।

कूंती को मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आवाहन कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ।

द्रोणाचार्य को ऐसे योद्धाओं की आवश्यकता थी जो राजा द्रुपद से प्रतिशोध ले सके। इसी कारण वे हस्तिनापुर के 105 राजकुमारों को शिक्षा देने लगे जिसमें से एक अर्जुन भी था।अर्जुन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता था।

विवाह

द्रौपदी

महर्षि वेदव्यास के कहने पर पाण्डव माता कुन्ती के साथ पांचाल चले गए जहाँ राजा द्रुपद की कन्या द्रौपदी का स्वयंवर रखा गया था। अर्जुन वहाँ ब्राह्मण के भेस में गया और देखा कि महा सभा लगी है, पूरे भारत से राजकुमार आए हैं परन्तु कोई भी लक्ष्य भेद नहीं पा रहा था,अर्जुन के अतिरिक्त कर्ण भी था । तब अर्जुन ने लक्ष्य भेदन कर द्रौपदी को जीता था। फिर माता कुन्ती ने पांचों पाण्डवों के साथ द्रौपदी का विवाह कर दिया।

सुभद्रा

सुभद्रा भगवान कृष्ण तथा बलराम की बहन थी जिसे कृष्ण के कहने पर अर्जुन द्वारिका से भगा ले गए थे। सुभद्रा से इनका अभिमन्यु नामक पुत्र हुआ जो कुरुक्षेत्र युद्ध में मारा गया।

उलूपी

नागराज वासुकी की पुत्री उलूपी अर्जुन की तीसरी पत्नी थी। अर्जुन को उलूपी के गर्भ से इरावान नाम का एक तजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ था जो कुरुक्षेत्र युद्ध में मारा गया था।

चित्रांगदा

चित्रांगदा अर्जुन की चार पत्नियों में से एक महत्वपूर्ण पत्नी थी। वह मणिपुर नरेश चित्रवाहन की एकमात्र पुत्री थी जो विवाह के पश्चात् मणिपुर में ही रुक गई थी। चित्रांगदा के गर्भ से अर्जुन को एक तेजस्वी पुत्र बब्रुवाहन नामक एक तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ था ऐसा कहा जाता है कि बब्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन और अपने बड़े भाई वृषकेतु का वध किया था किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने जब उसे बताया कि वह अर्जुन का पुत्र और वृषकेतु का भाई है तो वह नागलोक से अपनी विमाता उलूपी से नागमणि लेकर आया और अपने पिता अर्जुन और अग्रज वृषकेतु को जीवित करवाया।

बृहन्नला

अज्ञातवास में वो वेश बदल कर विराट नगर में वास करते थे जहाँ उर्वशी के श्राप के कारण अर्जुन को बृहन्नला बनकर विराट नगर की राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाना पड़ा।

अन्य नाम

  • पार्थ (कुन्ती का अन्य नाम -'पृथा' है ; पार्थ = पृथा का पुत्र)
  • जिष्णु (जीतने वाला)
  • किरीटिन् ( इन्द्र द्वारा उपहार में मिला चमकते मुकुट 'किरीट' वाला)
  • श्वेतवाहन ( जिसके श्वेत रथ में श्वेत अश्व जुड़े हों)
  • भीभस्तु (गोरा योद्धा)
  • विजय (सदा जीतने वाला)
  • फाल्गुन (उत्तर फाल्गुण नक्षत्र में जन्मा)
  • सव्यसाची (दोनों हाथों से से बाण चलाने में सक्षम)
  • धनञ्जय (जहाँ भी जाय वहाँ सम्पत्तियाँ लाए)
  • गाण्डीवधन्वन् (गांडीव नामक धनुष धारण करने वाला)
  • कृष्ण (श्याम त्वचा वाला)
  • कपिध्वज (जिसके ध्वज पर वानर हो)
  • गुडाकेश (निद्रा को जीतने वाला, भयंकर काली रात्रि में धनुर्विद्या का अभ्यास करने से यह नाम पड़ा)
  • परन्तप (परम तप करने वाला)
  • बीभत्सु (जो सदा धर्मसम्मत युद्ध करता है)
  • कौन्तेय (कुन्ती का पुत्र)










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