कहानियां - Stories 1


शेर और चूहे की कहानी: Short Hindi Story with Moral

एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा पने मनोरंजन के लिए. इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया।



वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा. चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया।

कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया. वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया. ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका. ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा।

उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी. वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है. जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वो तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा और जिससे शेर कुछ देर में आजाद भी हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी. बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की और चले गए |

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की उदार मन से किया गया कार्य हमेशा फल देता है।

2. लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

गर्मी के एक दिन में, जंगल के एक शेर को बहुत जोरों से भूख लगी. इसलिए वो इधर उधर खाने की तलाश करने लगा. कुछ देर खोजने के बाद उसे एक खरगोश मिला, लेकिन उसे खाने के बदले में उसे उसने छोड़ दिया क्यूंकि उसे वो बहुत ही छोटा लगा।



फिर कुछ देर धुंडने के बाद उसे रास्ते में एक हिरन मिला, उसने उसका पीछा किया लेकिन चूँकि वो बहुत से खाने की तलाश कर रहा था ऐसे में वो थक गया था, जिसके कारण वो हिरन को पकड़ नहीं पाया।

अब जब उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला तब वो वापस उस खरगोश को खाने के विषय में सोचा. वहीँ जब वो वापस उसी स्थान में आया था उसे वहां पर कोई भी खरगोश नहीं मिला क्यूंकि वो वहां से जा चूका था. अब शेर काफ़ी दुखी हुआ और बहुत दिनों तक उसे भूखा ही रहना पड़ा।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अत्यधिक लोभ करना कभी भी फलदायक नहीं होता है।

3. सुई देने वाली पेड़ की कहानी : Hindi Short Stories with Moral

एक जंगल के पास दो भाई रहा करते थे. इन दोनों में से जो भाई बड़ा था वो बहुत ही ख़राब बर्ताव करता था छोटे भाई के साथ. जैसे की वो प्रतिदिन छोटे भाई का सब खाना ख लेता था और साथ में छोटे भाई के नए कपड़े भी खुद पहन लेता था।



एक दिन बड़े भाई ने तय किया की वो पास के जंगल में जाकर कुछ लकड़ियाँ लायेगा जिसे की वो बाद में बाज़ार में बेच देगा कुछ पैसों के लिए।

जैसे ही वह जंगल में गया वहीं वो बहुत से पेड़ काटे, फ़िर ऐसे ही एक के बाद एक पेड़ काटते हुए, वह एक जादुई पेड़ पर ठोकर खाई।

ऐसे में पेड़ ने कहा, अरे मेहरबान सर, कृपया मेरी शाखाएं मत काटो. अगर तुम मुझे छोड़ दो तब, मैं तुम्हें एक सुनहरा सेब दूंगा. वह उस समय सहमत हो गया, लेकिन उसके मन में लालच जागृत हुआ. उसने पेड़ को धमकी दी कि अगर उसने उसे ज्यादा सेब नहीं दिया तो वह पूरा धड़ काट देगा।

ऐसे में जादुई पेड़, बजाय बड़े भाई को सेब देने के, उसने उसके ऊपर सैकड़ों सुइयों की बौछार कर दी. इससे बड़े भाई दर्द के मारे जमीन पर लेटे रोने लगा।

अब दिन धीरे धीरे ढलने लगा, वहीँ छोटे भाई को चिंता होने लगी. इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल चला गया. उसने उस पेड़ के पास बड़े भाई को दर्द में पड़ा हुआ पाया, जिसके शरीर पर सैकड़ों सुई चुभी थी. उसके मन में दया आई, वह अपने भाई के पास पहुंचकर, धीरे धीरे हर सुई को प्यार से हटा दिया।

ये सभी चीज़ें बड़ा भाई देख रहा था और उसे अपने पर गुस्सा आ रहा था. अब बड़े भाई ने उसके साथ बुरा बर्ताव करने के लिए छोटे भाई से माफी मांगी और बेहतर होने का वादा किया. पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आए बदलाव को देखा और उन्हें वह सब सुनहरा सेब दिया जितना की उन्हें आगे चलकर जरुरत होने वाली थी।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमेशा सभी को दयालु और शालीन बनना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा पुरस्कृत किया जाता है।

4. लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी : Moral Stories in Hindi in Short

एक समय की बात है जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था. वो जंगल में लकड़ी इकठ्ठा करता था और उन्हें पास के बाज़ार में बेचता था कुछ पैसों के लिए। 


एक दिन की बात है वो एक पेड़ काट रहा था, तभी हुआ ये की गलती से उसकी कुल्हाड़ी पास की एक नदी में गिर गई. नदी बहुत ज्यादा गहरी थी और वास्तव में तेजी से बह रही थी- उसने बहुत प्रयत्न किया अपने कुल्हाड़ी को खोजने की लेकिन उसे वो वहां नहीं मिली. अब उसे लगा की उसने कुल्हाड़ी खो दी है, वहीँ दुखी होकर वो नदी के किनारे बैठकर रोने लगा।

उसके रोने की आवाज सुनकर नदी के भगवान उठे और उस लकड़हारे से पूछा कि क्या हुआ. लकड़हारा ने उन्हें अपनी दुखद कहानी बताई. नदी के भगवान को उस लकड़हारे के ऊपर दया आई और वो उसकी मेहनत और सच्चाई देखकर उसकी मदद करने की पेशकश की।

वो नदी में गायब हो गए और एक सुनहरी कुल्हाड़ी वापस लाया, लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यह उसका नहीं है. वो फिर से गायब हो गए और अब की बार उन्होंने चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस आये, लेकिन इस बार भी लकड़हारे ने कहा कि ये कुल्हाड़ी उसका भी नहीं है।

अब नदी के भगवान पानी में फिर से गायब हो गए और अब की बार वो एक लोहे की कुल्हाड़ी के साथ वापस आ गए – लकड़ी का कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा मुस्कुराया और कहा कि यह उसकी कुल्हाड़ी है।

नदी के भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियों से भेंट किया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।

5. हाथी और उसके दोस्तों की कहानी : Short Moral Stories in Hindi for Class 1

बहुत समय पहले की बात है, एक अकेला हाथी एक अजीब जंगल में बसने आया.. यह जंगल उसके लिए नया था, और वह दोस्त बनाने के लिए देख रहा था।



वो सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और कहा, “नमस्ते, बंदर भैया ! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? ” बंदर ने कहा, तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते क्यूंकि तुम बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।

इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास गया और वही सवाल पूछा. खरगोश ने कहा, तुम मेरे बिल में फिट होने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।

फिर हाथी तालाब में रहने वाले मेंढक के पास गया और वही सवाल पूछा. मेंढक ने उसे जवाब दिया, तुम मेरे जितना ऊंची कूदने के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता. अब हाथी वास्तव में उदास था क्योंकि वह बहुत कोशिशों के वाबजूद दोस्त नहीं बना सका।

फिर, एक दिन, सभी जानवरों को जंगल में इधर उधर दौड़ रहे थे, ये देखकर हाथी ने दौड़ रहे एक भालू से पूछा कि इस उपद्रव के पीछे का कारण क्या है।

भालू ने कहा, जंगल का शेर शिकार पर निकला है – वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं. ऐसे में हाथी शेर के पास गया और कहा कि कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट न पहुंचाओ. कृपया उन्हें अकेला छोड़ दें।

शेर ने उसका मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा. तभी हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग खड़ा हुआ।

अब बाकी सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर आनंदित होने लगे. वे हाथी के पास गए और उससे कहा, “तुम्हारा आकार एकदम सही है हमारा दोस्त बनने के लिए !”

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की एक व्यक्ति का आकार उनके मूल्य का निर्धारण नहीं करता है।

6. आलू, अंडे और कॉफी बीन्स की कहानी : Small Moral Stories in Hindi

एक लड़का था जिसका नाम जॉन था और वो काफ़ी उदास था। उसके पिता को वह रोता हुआ मिला। 



जब उसके पिता ने जॉन से पूछा कि वह क्यों रो रहे हैं, तो उसने कहा कि उसके जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं। उसके पिता बस मुस्कुराए और उसे एक आलू, एक अंडा और कुछ कॉफी बीन्स लाने को कहा। उसने उन्हें तीन कटोरे में रखा।

फिर उन्होंने जॉन से उनकी बनावट को महसूस करने के लिए कहा और फिर उन्होंने प्रत्येक कटोरी में पानी भर देने का निर्देश दिया। 

जॉन ने वैसा ही किया जैसा उसे बताया गया था। उसके पिता ने फिर तीनों कटोरे उबाले।

एक बार जब कटोरे ठंडे हो गए, तो जॉन के पिता ने उन्हें अलग-अलग खाद्य पदार्थों की बनावट को फिर से महसूस करने के लिए कहा।

जॉन ने देखा कि आलू नरम हो गया था और उसकी त्वचा आसानी से छिल रही थी; अंडा कठिन और सख्त हो गया था; वहीं कॉफी बीन्स पूरी तरह से बदल गई थी और पानी के कटोरे को सुगंध और स्वाद से भर दिया था।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जीवन में हमेशा समस्याएँ और दबाव होंगे, जैसे कहानी में उबलता पानी। इन समस्याओं पर आप इस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं, यही सबसे अधिक मायने रखती है!

7. दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

एक बार मेंढकों का एक दल पानी की तलाश में जंगल में घूम रहा था। अचानक, समूह में दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए।



दल के दूसरे मेंढक गड्ढे में अपने दोस्तों के लिए चिंतित थे। गड्ढा कितना गहरा था, यह देखकर उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है।

वे लगातार उन्हें हतोत्साहित करते रहे क्योंकि दो मेंढक गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे। वो दोनों जितनी भी कोशिश करते लेकिन काफ़ी सफल नहीं हो पाते।

जल्द ही, दो मेंढकों में से एक ने दूसरे मेंढकों पर विश्वास करना शुरू कर दिया – कि वे कभी भी गड्ढे से नहीं बच पाएंगे और अंततः हार मान लेने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।

दूसरा मेंढक अपनी कोशिश जारी रखता है और आखिर में इतनी ऊंची छलांग लगाता है कि वह गड्ढे से बच निकलता है। अन्य मेंढक इस पर चौंक गए और आश्चर्य किया कि उसने यह कैसे किया।

अंतर यह था कि दूसरा मेंढक बहरा था और समूह का हतोत्साह नहीं सुन सकता था। उसने ये सोचा कि वे उसके इस कोशिश पर खुश कर रहे हैं और उसे कूदने के लिए उत्साहित कर रहे हैं !

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उसपर विश्वास करेंगे, बेहतर इसी में है की आप खुद पर ज़्यादा विश्वास करें, सफलता आपके कदम चूमेगी।

8. मूर्ख गधा की कहानी : Simple Short Motivation Stories in Hindi

एक नमक बेचने वाला रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था।



रास्ते में उन्हें एक नदी पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते वक्त, गधा अचानक नदी में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। चूँकि नमक से भरा थैला पानी में घुल गया और इसलिए थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया। 

इसकी वजह से गधा बहुत ही खुश था। अब फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा, इससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता।

नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सीखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक रुई से भरा थैला लाद दिया।

अब गधे ने फिर से वही चाल चली। उसे उम्मीद थी कि रुई का थैला अभी भी हल्का हो जाएगा।

लेकिन गीला रुई (कपास) ले जाने के लिए बहुत भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उसने इससे  एक सबक सीखा। उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली और नमक बेचने वाला खुश था।

सीख

इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की भाग्य हमेशा साथ नहीं देता है, हमेशा हमें अपने बुद्धि का भी इस्तमाल करना चाहिए।।

9. एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी : Very Short Motivation Story in Hindi

गाँव में एक बुढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे बदकिस्मत लोगों में से एक था। सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकत से थक गया था।

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क्यूँकि वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा खराब मूड में रहता था।

जितना अधिक वह जीवित रहा, उतना ही वो दुखी रहता और उसके शब्द उतने ही जहरीले थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था।

उससे जो भी मिलता उसका दिन अशुभ हो जाता। उसके बगल में खुश रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक भी था।

इतना ज़्यादा दुखीं होने के वजह से उसने दूसरों में दुख की भावना पैदा की।

लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी साल के हुए, एक अविश्वसनीय बात हुई। ये बात लोगों में आज के तरह फैल गयी।  

वह बूढ़ा आदमी आज खुश था, वह किसी भी चीज़ की शिकायत नहीं कर रहा था, बल्कि पहली बार वो मुस्कुरा रहा था, और यहाँ तक कि उसका चेहरा भी तरोताज़ा दिखायी पड़ रहा था।”

यह देख कर पूरा गांव उसके घर के सामने इकट्ठा हो गया। और सभी ने बूढ़े आदमी से पूछा की : तुम्हें क्या हुआ है?

जवाब में बूढ़ा आदमी बोला : “कुछ खास नहीं। अस्सी साल से मैं खुशी का पीछा कर रहा हूं, और यह बेकार था, मुझे ख़ुशी कभी नहीं मिली। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने और जीवन का आनंद लेने का फैसला किया। इसलिए मैं अब खुश हूं।” 

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की खुशी का पीछा मत करो। जीवन का आनंद लो।

10. रास्ते में बाधा की कहानी : Short Moral Story for Adults in Hindi

बहुत पुराने समय की बात है, एक राजा ने जानबूझकर एक बड़ा सा चट्टान रास्ते के बीचों बीच में रखवा दिया। वहीं वो पास के एक बड़े से झाड़ी में छुप गया। वो ये देखना चाहता था की आख़िर कौन वो चट्टान रास्ते से हटाता है। 



उस रास्ते से बहुत से लोग आने जाने लगे लेकिन किसी ने भी उस चट्टान को हटाना ठीक नहीं समझा। यहाँ तक की राजा के दरबार के ही बहुत से मंत्री और धनी व्यापारी भी उस रास्ते से गुजरे, लेकिन किसी ने भी उसे हटाना ठीक नहीं समझा। उल्टा उन्होंने राजा को ही इस बाधा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।

बहुत से लोगों ने राजा पर सड़कों को साफ न रखने के लिए जोर-जोर से आरोप लगाया, लेकिन उनमें से किसी ने भी पत्थर को रास्ते से हटाने के लिए कुछ नहीं किया।

तभी एक किसान सब्जियों का भार लेकर आया। शिलाखंड (चट्टान) के पास पहुंचने पर किसान ने अपना बोझ नीचे रखा और पत्थर को सड़क से बाहर धकेलने का प्रयास किया। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार उसे सफलता मिली।

जब किसान अपनी सब्जियां लेने वापस गया, तो उसने देखा कि सड़क पर एक पर्स पड़ा था, जहां पत्थर पड़ा था।

पर्स में कई सोने के सिक्के और राजा का एक नोट था जिसमें बताया गया था कि सोना उस व्यक्ति के लिए था जिसने सड़क से चट्टान को हटाया था।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जीवन में हमारे सामने आने वाली हर बाधा हमें अपनी परिस्थितियों को सुधारने का अवसर देती है, और जबकि आलसी शिकायत करते हैं, दूसरे अपने दयालु हृदय, उदारता और काम करने की इच्छा के माध्यम से अवसर पैदा कर देते हैं।

11. लोमड़ी और अंगूर की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

बहुत दिनों पहले की बात है, एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी को बहुत भूख लगी। उसने पूरी जंगल में छान मारा लेकिन उसे कहीं पर भी खाने को कुछ भी नहीं मिला। इतनी मेहनत से खोज करने के बाद भी , उसे कुछ ऐसा नहीं मिला जिसे वह खा सके।

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अंत में, जैसे ही उसका पेट गड़गड़ाहट हुआ, वह एक किसान की दीवार से टकरा गया। दीवार के शीर्ष पर पहुँचकर, उसने अपने सामने बहुत से बड़े, रसीले अंगूरों को देखा। वो सभी अंगूर दिखने में काफ़ी ताज़े और सुंदर थे। लोमड़ी को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे खाने के लिए तैयार हैं।

अंगूर तक पहुँचने के लिए लोमड़ी को हवा में ऊंची छलांग लगानी पड़ी। कूदते ही उसने अंगूर पकड़ने के लिए अपना मुंह खोला, लेकिन वह चूक गया। लोमड़ी ने फिर कोशिश की लेकिन फिर चूक गया।

उसने कुछ और बार कोशिश की लेकिन असफल रहा

अंत में, लोमड़ी ने फैसला किया कि वो अब और कोशिश नहीं कर सकता है और उसे घर चले जाना चाहिए। जब वह चला गया, तो वह मन ही मन बुदबुदाया, “मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे थे।”

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जो हमारे पास नहीं है उसका कभी तिरस्कार न करें; कुछ भी आसान नहीं आता।

12. अहंकारी गुलाब की कहानी : Cute Inspirational Short Moral Stories in Hindi

एक बार की बात है, दूर एक रेगिस्तान में, एक गुलाब का पौधा था जिसे अपने सुंदर रूप (गुलाब का फ़ुल) पर बहुत गर्व था। उसकी एकमात्र शिकायत यह थी की, एक बदसूरत कैक्टस के बगल में बढ़ रही थी।

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हर दिन, सुंदर गुलाब कैक्टस का अपमान करता था और उसके लुक्स पर उसका मजाक उड़ाता था, जबकि कैक्टस चुप रहता था। आस-पास के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह भी अपने ही रूप से प्रभावित थी।

एक चिलचिलाती गर्मी, रेगिस्तान सूख गया, और पौधों के लिए पानी नहीं बचा। गुलाब जल्दी मुरझाने लगा। उसकी सुंदर पंखुड़ियाँ सूख गईं, अपना रसीला रंग खो दिया।

एक दिन दोपहर में, गुलाब ने ये नज़ारा देखा की एक गौरैया कुछ पानी पीने के लिए अपनी चोंच को कैक्टस में डुबा रही थी। यह देखकर गुलाब के मन में कुछ संकोच आयी। 

हालांकि शर्म आ रही थी फिर भी, गुलाब ने कैक्टस से पूछा कि क्या उसे कुछ पानी मिल सकता है? इसके जवाब में, दयालु कैक्टस आसानी से सहमत हो गया। गुलाब को अपनी गलती की एहसास हुआ, वहीं उसने एक दूसरे का मदद किया इस कठिन गर्मी को पार करने के लिए।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कभी भी किसी को उनके दिखने के तरीके से मत आंकिए।

13. कौवे की गिनती : Akbar Birbal Short Moral Stories in Hindi

एक दिन की बात है, अकबर महाराज जे अपने सभा में एक अजीब सा सवाल पूछा, जिससे पूरी सभा के लोग हैरान रह गए। जैसे ही वे सभी उत्तर जानने की कोशिश कर रहे थे, तभी बीरबल अंदर आए और पूछा कि मामला क्या है। 

Counting Crows Story in Hindi
Counting Crows Story in Hindi

उन्होंने उससे सवाल दोहराया। सवाल था, “शहर में कितने कौवे हैं?

बीरबल तुरंत मुस्कुराए और अकबर के पास गए। उन्होंने उत्तर की घोषणा की; उनका जवाब था की, नगर में इक्कीस हजार पांच सौ तेईस कौवे हैं। यह पूछे जाने पर कि वह उत्तर कैसे जानते हैं, तब बीरबल ने उत्तर दिया, “अपने आदमियों से कौवे की संख्या गिनने के लिए कहें।

यदि अधिक मिले,, तो कौवे के रिश्तेदार उनके पास आस-पास के शहरों से आ रहे होंगे। यदि कम हैं, तो हमारे शहर के कौवे शहर से बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के पास जरूर गए होंगे।” 

यह जवाब सुनकर, राजा को काफ़ी संतोष मिला। इस उत्तर से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को एक माणिक और मोती की जंजीर भेंट की। वहीं उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफ़ी प्रसंशा करी।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की आपके उत्तर में सही स्पष्टीकरण होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सही उत्तर का होना।

14. लालची आदमी की कहानी : Motivational Short Moral Stories in Hindi

एक बार एक छोटे से शहर में एक लालची आदमी रहता था। वह बहुत ही धनी था, लेकिन इसके वाबजुद भी उसकी लालच का कोई अंत नहीं था। उसे सोना और क़ीमती वस्तुएँ काफ़ी प्रिय थीं। 

Lalchi Aadmi ki Story in hindi

लेकिन एक बात ज़रूर थी की, वह अपनी बेटी को किसी भी चीज से ज्यादा प्यार करता था। एक दिन उसे एक परी दिखाई दी। जब वो उसके पास आया तो उसने देखा की, पेड़ की कुछ शाखाओं में परी के बाल फंस गए थे। 

उसने उसकी मदद की और परी उन शाखाओं से आज़ाद हो गयी। लेकिन जैसे-जैसे उसका लालच हावी हुआ, उसने महसूस किया कि उसके इस मदद के बदले में एक इच्छा माँगकर (उसकी मदद करके) वो आसानी से अमीर बन सकता है। 

ये सुनकर, परी ने उसे एक इच्छा की पूर्ति करने का मौक़ा भी दिया। ऐसे में उस लालची आदमी ने कहा की, “जो कुछ मैं छूऊं वह सब सोना हो जाए।” बदले में ये इच्छा को भी उस परी ने पूरी कर दी थी। 

जब उसकी इच्छा पूर्ण हो गयी, तब वो लालची आदमी अपनी पत्नी और बेटी को अपनी इच्छा के बारे में बताने के लिए घर भागा। उसने हर समय पत्थरों और कंकड़ को छूते हुए और उन्हें सोने में परिवर्तित होते देखा, जिसे देखकर वो बहुत ही खुश भी हुआ।  

घर पहुंचते ही उसकी बेटी उसका अभिवादन करने के लिए दौड़ी। जैसे ही वह उसे अपनी बाहों में लेने के लिए नीचे झुका, वह एक सोने की मूर्ति में बदल गई। ये पूरी घटना अपने सामने देखते ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।

वो काफ़ी ज़ोर से रोने लगा और अपनी बेटी को वापस लाने की कोशिश करने लगा। उसने परी को खोजने की काफ़ी कोशिश करी लेकिन वो उसे कहीं पर भी नहीं मिली। उसे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ, लेकिन अब तक काफ़ी देर हो गयी थी।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की लालच हमेशा पतन की ओर ले जाता है। ज़रूरत से ज़्यादा लालच करना हमें हमेशा दुःख प्रदान करता है।

15. लोमड़ी और सारस की कहानी : Inspirational Short Moral Stories in Hindi

एक दिन, एक स्वार्थी लोमड़ी ने एक सारस को रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। सारस निमंत्रण से बहुत खुश हुआ, क्यूंको उसे खाने का काफ़ी शौक़ था। वह समय पर लोमड़ी के घर पहुँची और अपनी लंबी चोंच से दरवाजा खटखटाया। 

lomdi aur saras ki kahani in hindi

लोमड़ी ने उसे घर पर आमंत्रित किया और अंदर अंदर आने को कहा। फिर उसे खाने की मेज पर ले गई और उन दोनों के लिए उथले कटोरे में कुछ सूप परोसा। चूंकि कटोरा सारस के लिए बहुत उथला था, इसलिए वह सूप बिल्कुल नहीं पी सकती थी। लेकिन, लोमड़ी ने जल्दी से अपना सूप चाट लिया।

सारस गुस्से में और परेशान थी, लेकिन उसने अपना गुस्सा नहीं दिखाया और विनम्रता से व्यवहार किया। वहीं उसने मन ही मन एक योजना बनायी, लोमड़ी को सबक सीखाने के लिए। 

उसने फिर लोमड़ी को अगले ही दिन रात के खाने पर आमंत्रित किया। जब लोमड़ी उसके घर पर आयी, तब उसने भी सूप परोसा, लेकिन इस बार सूप को दो लंबे संकरे फूलदानों में परोसा। सारस ने अपने फूलदान से सूप को खा लिया, लेकिन लोमड़ी अपनी संकीर्ण गर्दन के कारण उसमें से कुछ भी नहीं पी सकी। 

अब ये सब देखकर लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भूखा घर चला गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की एक स्वार्थी कार्य जल्दी या बाद में उलटा अवस्य पड़ ही जाता है।

16. क्रिस्टल बॉल की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 2

बहुत दिनों पहले की बात है। एक बार एक छोटा सा लड़का राम अपने बगीचे में खेल रहा था। उसे अपने बगीचे के बरगद के पेड़ के पीछे एक क्रिस्टल बॉल मिली। पेड़ ने उससे कहा कि यह एक जादूयी क्रिस्टल बॉल है जो की उसकी इच्छा की पूर्ति करेगा। 

यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ और उसने बहुत सोचा, लेकिन दुर्भाग्य से उसे ऐसी कोई भी चीज़ नहीं मिली जिसे की वो उस क्रिस्टल बॉल से माँग सके। इसलिए, उसने क्रिस्टल बॉल को अपने बैग में रखा और तब तक इंतजार किया जब तक कि वह अपनी इच्छा पर फैसला नहीं कर लेता।

ऐसे ही सोचते सोचते बहुत दिन बीत गए, लेकिन उसे अभी तक भी ये समझ में नहीं आ रहा था की वो आख़िर में क्या माँगे। एक दिन उसका मित्र उसे उस क्रिस्टल बॉल के साथ देख लेता है। वहीं उसने राम से वो क्रिस्टल बॉल चुराया और गाँव के सभी लोगों को दिखाया।

उन सभी ने अपने लिए महल और धन और बहुत सारा सोना माँगा, लेकिन वे सभी भी एक से अधिक इच्छा नहीं कर सके। अंत में, हर कोई नाराज था क्योंकि उन्हें वो सब कुछ नहीं मिल पाया जिन्हें की उन्हें चाह थी। 

वे सभी बहुत दुखी हुए और उन्होंने राम से मदद मांगने का फैसला किया। उनकी बातें सुनकर राम ने एक इच्छा माँगना चाहा, वहीं राम ने अपनी ये इच्छा माँगी कि सब कुछ पहले जैसा हो जाए। इससे पहले जो सभी गाँव वालों ने अपने लालच को पूरा करने की कोशिश की थी उनकी सभी चीजें ग़ायब हो गयी।

यानी की उनके द्वारा माँगी गयी महल और सोना गायब हो गया और गाँव वाले एक बार फिर खुश और संतुष्ट हो गए। अंत में सभी ने राम को उसकी सूझ बुझ के लिए धन्यवाद कहा।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की पैसा और दौलत हमेशा खुशी नहीं लाते।

17. चींटी और कबूतर की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 3

भीषण गर्मी के दिनों में एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। कुछ देर घूमने के बाद उसने एक नदी देखी और उसे देखकर प्रसन्न हुई। वह पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई, लेकिन वह फिसल कर नदी में गिर गई। 

वह जब डूब रही थी तब उसे एक कबूतर ने देख लिया। वह कबूतर जो की पास के एक पेड़ पर बैठा हुआ था उसने उसकी मदद की। चींटी को संकट में देखकर कबूतर ने झट से एक पत्ता पानी में गिरा दिया। 



चींटी पत्ती की ओर बढ़ी और उस पर चढ़ गई। फिर कबूतर ने ध्यान से पत्ते को बाहर निकाला और जमीन पर रख दिया। इस तरह चींटी की जान बच गई और वह हमेशा कबूतर की ऋणी रही।

इस घटना के बाद चींटी और कबूतर सबसे अच्छे दोस्त बन गए और उनके दिन खुशी से बीते। लेकिन एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने पेड़ पर बैठे सुंदर कबूतर को देखा और अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधा। 

यह सब वह चींटी देख रहा था जिसे की उस कबूतर ने बचाया था। यह देखकर उस चींटी ने शिकारी की एड़ी पर काट लिया, जिससे वह दर्द से चिल्लाया और उसके हाथ से बंदूक गिरा दी। कबूतर शिकारी की आवाज से घबरा गया और उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो सकता है। वह अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से उड़ गया!

जब वह शिकारी वहाँ से चला गया फिर कबूतर वहाँ उस चींटी के पास आया और उसकी जान बचाने के लिए उसे धनयवाद दिया। इस तरह दोनों दोस्त विपत्ति के समय में एक दूसरे के काम आए। 

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की एक अच्छा काम कभी बेकार नहीं जाता, समय आने पर वो अवस्य फल देता है।

18. चींटी और हाथी की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 4

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बार एक घमंडी हाथी था जो हमेशा छोटे जानवरों को धमकाता था और उनका जीवन कष्टदायक बनाता था। इसलिए सभी छोटे जानवर उससे परेशान थे। एक बार की बात है वह अपने घर के पास के एंथिल (चींटी की मांद) में गया और चींटियों पर पानी छिड़का।

ऐसा होने पर वो सभी चींटियाँ अपने आकार को लेकर रोने लगीं। क्यूँकि वो हाथी इनकी तुलना में काफ़ी बड़ा था और इसलिए वो कुछ नहीं कर सकती थीं।



हाथी बस हँसा और चींटियों को धमकी दी कि वह उन्हें कुचल कर मार डालेगा। ऐसे में चींटियाँ वहाँ से चुपचाप चली गयी। फिर एक दिन, चींटियों ने एक सभा बुलायी और उन्होंने हाथी को सबक सीखाने का फैसला किया। अपनी योजना के मुताबिक़ जब हाथी उनके पास आया तब वे सीधे हाथी की सूंड में जा घुसे और उसे काटने लगे।

इससे हाथी केवल दर्द में कराह सकता था। क्यूँकि चींटियाँ इतनी छोटी थी कि उनका यह हाथी कुछ नहीं कर सकता था। साथ में उसके शूँड के अंदर होने के वजह से वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चींटियों और उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिन्हें उसने धमकाया था।

उसकी ये पीड़ा देखकर चींटियों को भी दया आयी और उन्होंने उसे छोड़ दिया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की विनम्र बनो और सभी के साथ दया का व्यवहार करो। अगर आपको लगता है कि आप दूसरों से ज्यादा मजबूत हैं, तो अपनी ताकत का इस्तेमाल उन्हें नुकसान पहुंचाने के बजाय उनकी रक्षा के लिए करना चाहिए।

19. कुत्ता और हड्डी की कहानी : Inspirational Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक बार एक कुत्ता था जो खाने की तलाश में रात-दिन सड़कों पर घूमता रहता था।


एक दिन, उसे एक बड़ी रसीली हड्डी मिली और उसने तुरंत उसे अपने मुंह के बीच में पकड़ लिया और घर की ओर ले गया। घर के रास्ते में, उसने एक नदी पार करनी पड़ी। वहाँ उसने गौर किया की एक और कुत्ता ठीक उसी के तरफ़ ही देख रहा था, वहीं जिसके मुंह में भी एक हड्डी थी।

इससे इस कुत्ते के मन में लालच उत्पन्न हुई और वह उस हड्डी को अपने लिए चाहने लगा। लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, जिस हड्डी को वह काट रहा था, वह नदी में गिर गई और डूब गई। ऐसा इसलिए हुआ क्यूँकि वो दूसरा कुत्ता और कोई नहीं बल्कि उसकी ही परछायी थी, जो की उसे पानी में दिख रहा था। अब जब की उसके मुँह की हड्डी गिर चुकी थी पानी में इसलिए उस रात वह भूखा ही रहा और अपने घर चला गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अगर हम हमेशा दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, तो हम लालची कुत्ते की तरह सबक़ सीखना पड़ेगा, वहीं जो हमारे पास पहले से है हम उसे भी खो देंगे।

20. झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी: Animal Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक बार, एक गाँव में एक लड़का रहा करता था जो की पास की पहाड़ी पर चरते गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। अपना मनोरंजन करने के लिए, उसने चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”

जब गाँव वालों ने उसकी चीख सुनी, तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए। लेकिन, जब वे पहुंचे, तो उन्होंने कोई भेड़िया नहीं देखा। उनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर लड़का खुश हो गया। उसे यह देखकर मज़ा आया।

सभी गाँव वालों ने उस लड़के को चेतावनी दी की “भेड़िया भेड़िया चिल्लाओ मत, लड़का,”, “जब कोई भेड़िया नहीं है!” इसके बाद वे सभी गुस्से में वापस पहाड़ी से चले गए।

अपने मनोरंजन के लिए, बाद में एक बार फिर से, चरवाहा लड़का फिर चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”, उसने देखा कि ग्रामीण भेड़िये को डराने के लिए पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं। यह देख उसे फिर से आनंद आने लगा।

जब उन्होंने देखा कि कोई भेड़िया नहीं है, तो उन्होंने सख्ती से उस लड़के को कहा, की जब कोई भेड़िया नहीं है तब उसे उन्हें नहीं बुलाना चाहिए। केवल भेड़िया के आने पर ही उन्हें उसे पुकारना चाहिए। जब वो गाँव वाले पहाड़ी के नीचे जा रहे थे, तब वो लड़का मन ही मन मुस्कुराया।

बाद में, लड़के ने एक असली भेड़िये को अपने झुंड के तरफ़ आते देखा। घबराए हुए, वह अपने पैरों पर कूद गया और जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” लेकिन गाँव वालों ने अब की बार सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।

सूर्यास्त के समय, ग्रामीण उस लड़के की तलाश में गए जो अपनी भेड़ों के साथ नहीं लौटा था। जब वे पहाड़ी पर गए, तो उन्होंने उसे रोते हुए पाया।

“यहाँ वास्तव में एक भेड़िया था! झुंड चला गया! मैं चिल्लाया, ‘भेड़िया!’ लेकिन तुम नहीं आए,” वह चिल्लाया, यह सब वो रोते हुए कहा। 

अब एक बूढ़ा आदमी लड़के को सांत्वना देने गया। जैसे ही उसने उसके पीठ पर अपना हाथ रखा, उसने कहा, “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच कह रहा हो!” अब उस लड़के को अपनी गलती का पछतावा हुआ। 

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की झूठ से विश्वास टूट जाता है – भले ही आप सच कह रहे हों, कोई भी झूठ पर विश्वास नहीं करता है। इसलिए हमेशा सच बोलना चाहिए।

21. तेनाली रामा और चोरों की टोली की कहानी : Education Short Story in Hindi

बहुत दिनों पहले की बात है, तब भारत के दक्षिण दिशा में विजयनगर नामक एक राज्य हुआ करता था। उस राज्य के राजा कृष्णदेवराय हुआ करते थे। वहीं उनके दरबार में तेनाली रामा नामक एक मंत्री भी था। 

विजयनगर में उन दिनों चोरी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। राजा कृष्णदेवराय चोरों से चिंतित थे। तेनाली रामा समेत दरबार में हर कोई चिंतित नजर आया! उस शाम जब वह (तेनाली रामा) दरबार से अपने घर वापस आया, तो उसने देखा कि उसके बगीचे में कुएँ के पास बड़े आम के पेड़ के पीछे दो आकृतियाँ छिपी हुई हैं।

अब उसे ये भली भाँति मालूम पड़ गया था की ये कोई ओर नहीं बल्कि वहीं चोर हैं। उसने उन चोरों को सही सबक सीखाने के बारे में सोचा।  वह घर पहुँचकर अपने पत्नी के साथ ज़ोर ज़ोर से बातें करने लगा, जिससे की वो चोर लोग उनकी बातों को सुन सके। 

वह अपनी पत्नी से क्या कह रहा था :”… हमारे गहने घर पर रखना सुरक्षित नहीं है। कृपया हमारे लोहे के ट्रंक को अपने गहनों से भर दें और वो लोग उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कुएं में गिरा देंगे !”

ये बातें सुनकर लुटेरों ने एक बेवकूफ की योजना के विचार पर चुटकी ली। उन्हें लगा की यह तेनाली रामा कितना ही ज़्यादा मूर्ख व्यक्ति है। वहीं तेनाली रामा ने अपनी पत्नी को फुसफुसाया कि चोर बगीचे में छिपे हुए हैं। वहीं साथ में वह ट्रंक को पत्थरों और बर्तनों से भरने के लिए कहता है।

एक बार ट्रंक भर जाने के बाद, तेनाली राम और उनकी पत्नी ने ट्रंक को खींचकर कुएँ में गिरा दिया।”यह यहाँ सुरक्षित रहेगा!” उसने अपनी पत्नी को जोर से कहा।

दोनों चोर घर में लोगों के सोने का इंतजार कर रहे थे। उनके पास एक योजना थी! प्रत्येक लुटेरा बारी-बारी से कुएँ से पानी निकालने लगा।

उनका उत्साह जल्द ही थकान में बदल गया और उन्होंने थोड़ा विश्राम लेने का फैसला किया। तभी पास ही किसी ने कहा: “बस इतना ही! बगीचे में पानी भर गया है, तुमने दिन के लिए अच्छा काम किया है! अब मुझे बगीचे में पानी भरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ”। 

लुटेरों ने जब इधर-उधर देखा तब उन्हें तेनाली रामा पीछे फावड़ा और डंडा पकड़े हुए दिखा। उसे देखकर वो चौंक गए, वो उठे और भाग गए! कुछ समय बाद, विजयनगर के लोगों ने किसी लूट की शिकायत नहीं की।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की किसी भी विषम परिस्थिति में बेहतर यही है कि शांत रहें और किसी समस्या का हल ढूंढ़ लें।

22. दूधवाली और उसके सपने की कहानी: New Short Story in Hindi

दूधवाली और उसके सपने एक बहुत ही अनोखी कहानी है जिसमें की बच्चों को दिवास्वप्न न देखने की सीख मिलती है। एक समय की बात है, एक गाँव में कमला नाम की एक दूधवाली रहती थी। वो अपने गायों की दूध को बेचकर पैसे कमाती थी जिससे की उसका गुज़ारा चलता था। 

एक दिन की बात है, उसने अपनी गाय को दूध पिलाया और एक छड़ी पर लाए हुए दूध की दो बाल्टी लेकर बाजार में दूध बेचने निकल पड़ी। जैसे ही वह बाजार जा रही थी, वह दिवास्वप्न देखने लगी कि दूध के लिए उसे जो पैसा मिला है, उसका वह क्या करेगी।

उसने मन ही मन कई चीजें सोचने लगी। उसने मुर्गी खरीदने और उसके अंडे बेचने की सोची। फिर उस पैसे से वो एक केक, स्ट्रॉबेरी की एक टोकरी, एक फैंसी ड्रेस और यहां तक ​​कि एक नया घर खरीदने का सपना देखने लगी। इस प्रकार से वो कम समय से अमीर बनने की योजना बनाई। 

अपने उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रहे दोनों बाल्टी के बारे में भूल गई और उन्हें छोड़ना शुरू कर दिया। अचानक, उसने महसूस किया कि दूध नीचे गिर रहा है और जब उसने अपनी बाल्टी की जाँच की, तो वे खाली थे। ये देखकर वो रोने लगी और उसे उसके भूल का पछतावा होने लगा।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की केवल सफलता ही नहीं, सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

23. सुनहरे हंस की कहानी: Lalach Buri Bala Hai Short Story in Hindi

यह जातक कथाओं से बच्चों के लिए नैतिक कहानियों में से एक है, जो लालच की बात करती है! बहुत दिनों की बात है एक झील में एक हंस रहता था, जो की काफ़ी खास था। उसके सुंदर सुनहरे पंख थे। वहीं झील के पास एक बूढ़ी औरत अपनी बेटियों के साथ रहती थी। 

बहुत ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी वे गरीब ही रहे। एक दिन, हंस ने सोचा: शायद मैं हर दिन एक सुनहरा पंख दे दूं ताकि ये महिलाएं इसे बेच सकें और जीने के लिए पर्याप्त पैसा हो।

अगले दिन हंस बुढ़िया के पास गया। उसे देखकर बूढ़ी औरत ने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है!” लेकिन ऐसा कहने पर हंस ने कहा, “लेकिन, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है!” और समझाया कि वह क्या कर सकती है! 

बुढ़िया और उसकी बेटियाँ सोने का पंख बेचने के लिए बाजार गई थीं। उस दिन, वे हाथ में पर्याप्त धन लेकर खुश होकर वापस आए।

हंस दिन-ब-दिन बुढ़िया और उसकी बेटियों की मदद करता रहता। बेटियाँ चिड़िया के साथ खेलना पसंद करती थीं और बरसात और ठंड के दिनों में उसकी देखभाल करती थीं! जैसे-जैसे समय बीतता गया, बूढ़ी औरत और लालची होती गई! एक पंख उसकी मदद कैसे कर सकता है? “जब कल तक हंस आ जाए, तो हमें उसके सारे पंख तोड़ देने चाहिए!” उसने अपनी बेटियों को बताया। 

ऐसी बात सुनने पर, उन्होंने इसमें उसकी मदद करने से इनकार कर दिया। अगले दिन बुढ़िया ने हंस के आने का इंतजार किया। जैसे ही पक्षी आया, उसने अपने अगले हिस्से को पकड़ लिया और अपने पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया। 

जैसे ही उसने उन्हें तोड़ा, पंख सफेद हो गए। बुढ़िया रो पड़ी और हंस को जाने दिया। इसपर हंस ने कहा की, “तुम लालची हो गए हो! जब तुमने मेरी इच्छा के बिना मेरे सुनहरे पंख तोड़ दिए, तो वे सफेद हो गए! 

इतना कहकर हंस गुस्से में वहाँ से उड़ गया फिर कभी नहीं दिखायी पड़ा!

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अत्यधिक लोभ से बहुत हानि होती है। दूसरों से चोरी न करना या स्वार्थ के लिए दूसरों की कामना न करना अच्छा है।

24. सर्कस के हाथियों की कहानी : Bedtime Short Stories in Hindi

बहुत दिनों पुरानी बात है। एक बहुत ही बड़ा सर्कस हुआ करता था। इस सर्कस में बहुत से जानवर कई प्रकार के करतब किया करते थे। 

वहीं यहाँ पर एक हाथियों का झुंड भी हुआ करता था जो की कई सारे करतब से लोगों का मनोरंजन करते थे। एक बार उस सर्कस में पांच हाथियों ने सर्कस के करतब किए। वहीं करतब के ख़त्म हो जाने के बाद उन्हें कमजोर रस्सी से बांधकर रखा जाता था, जिससे वे आसानी से बच सकते थे, लेकिन वो कभी भी नहीं गए। 

एक दिन सर्कस में जाने वाले एक व्यक्ति ने रिंगमास्टर से पूछा: “इन हाथियों ने रस्सी तोड़कर भाग क्यों नहीं लिया?” इस सवाल पर रिंगमास्टर ने उत्तर दिया की : “जब वे छोटे थे, तब इन हाथियों को पतले पतले रस्सी से बंधा जाता था, लेकिन वो छोटे होने के कारण से जितनी कोशिश करने पर भी उस रस्सी से छूट नहीं पाते थे।

धीरे धीरे उनकी कोशिश कम होती गयी और उन्होंने मन में ये मान लिया की वो इन रस्सियों को छुड़ाकर नहीं भाग सकते हैं। वहीं हाथियों को यह विश्वास दिलाया गया था कि वे रस्सियों को तोड़ने और भागने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।” 

इसलिए जब वो बड़े हो जाते हैं तब उन्हें वही समान रस्सी से भी आसानी से बांध दिया जाता है। उन लोगों की इसी विश्वास की वजह से उन्होंने अब रस्सियों को तोड़ने की कोशिश तक नहीं की। लेकिन देखा जाए तो वो एक ही पल में इन सभी रस्सियों को आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन वो ऐसा करते नहीं है।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें समाज की मर्यादाओं के आगे नहीं झुकना चाहिए। वहीं हमें ये विश्वास करना चाहिए कि हम वो सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो हम चाहते हैं!

25. सैतान बिल्ली और चूहों की कहानी: Short Hindi story with Picture

बहुत समय पहले की बात है, एक सैतान बिल्ली बहुत से चूहों को हमेशा परेशान किया करता था। ऐसे में सभी चूहों ने इस परेशानी का हल खोजने का सोचा। वहीं एक बार सभी चूहे अपने सबसे बड़े मुद्दे पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे हुए !

यह सैतान बिल्ली जो चूहों का पीछा कर रही है और उन्हें पकड़ कर खा रही है! “यह अराजकता है!” एक चूहे ने गुस्से से कहा।

“हमें एक समाधान खोजने की जरूरत है जो की हमें बिल्ली के आने की चेतावनी दे सके!” दूसरे ने कहा।

ऐसे में एक चिंतित चूहे ने कहा, “क्या हम थोड़ी जल्द यह तय कर सकते हैं इस परेशानी का समाधान, अन्यथा बिल्ली हमें यहाँ पर भी देख सकती है”। इस बात पर, एक बूढ़े चूहे ने अपना पंजा उठाया और कहा: “चलो एक त्वरित समाधान खोजें!”

चूहों ने जल्द ही विचारों पर चर्चा करना शुरू कर दिया। बहुत से चूहों ने अपने अलग अलग मत प्रदान किए। एक ने कहा “हमें चेतावनी देने के लिए हमारे पास एक प्रहरीदुर्ग होगा!”

वहीं दूसरे ने कहा, “बिल्ली द्वारा खाए जाने से बचने के लिए हम सभी को समूहों में जाना चाहिए!” तभी उन्ही के बीच में एक और चूहे ने सुझाव दिया की, “मेरे पास एक विचार है”, “चलो बिल्ली के गले में घंटी बांधते हैं!

तो जब बिल्ली आसपास टहलती है तब उसके गले में लगी घंटी भी आवाज करेगी, जिससे हमें उसके पास महजूद होने की चेतावनी मिल ज़ाया करेगी !” इस सुझाव से सभी चूहे सहमत हो गए।
यह सबसे अच्छा विचार था, ऐसे सभी चूहों ने एक सुर में कहा! “ठीक है! तो, बिल्ली को कौन घंटी बजाएगा?” बूढ़े चूहे से पूछा।

ऐसा पूछे जाने पर वहाँ सन्नाटा छा गया! जल्द ही, एक-एक करके सभी चूहे चुपचाप भाग गए। अंत में केवल बूढ़ा चूहा ही रह गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की समाधान देना या विचार रखना ठीक है लेकिन यह क्रिया ही होती है जो की हमारे उस समाधान या विचार को परिभाषित करती है।

26. मिडास का सुनहरा स्पर्श की कहानी: Short Stories For 5 Year Olds In Hindi

बहुत समय पहले यूनान में मिदास नाम का एक राजा रहता था। वह अत्यंत धनी था और उसके पास वह सारा सोना था जिसकी उसे कभी आवश्यकता हो सकती थी। 

उनकी एक बेटी भी थी जिससे वह बहुत प्यार करते थे। एक दिन, मिडास ने एक देवदूत को देखा, जो की कहीं पर फंस गया था और मुसीबत में था। मिडास ने देवदूत की मदद की और बदले में उसकी इच्छा पूरी करने के लिए कहा। 

देवदूत इस बात पर सहमत हो गया उसने मिडास की मनोकामना भी पूरी कर दी। असल में मिडास चाहता था कि वह जो कुछ भी छूए वह सोने में बदल जाए। 

उसकी यह इच्छा को देवदूत ने पूरी कर दी थी। इससे मिडास मन ही मन काफ़ी खुश था। बेहद उत्साहित मिदास जब अपनी पत्नी और बेटी के पास लौट रहा था, तब वो  रास्ते में स्तिथ कंकड़, चट्टानों और पौधों को छूते हुए गया, जो सोने में बदल गया। 

इसे देखकर मिडास को पूरा यक़ीन हो गया था की उसके छूने मात्र से ही चीजें सोने में बदल जाती है। जब वो घर पहुँचा तब उसकी बेटी दौड़कर उसके पास चली आयी, वहीं जैसे ही उसकी बेटी ने उसे गले लगाया, वह एक सोने की मूर्ति में बदल गई। 

ऐसा होते ही मिडास को अपने भूल का एहसास हो गया। अपना सबक सीखने के बाद, मिडास ने देवदूत से उस मंत्र को उलटने की भीख माँगी जिसने यह दिया। वो चाहता था की सब कुछ अपनी मूल स्थिति में वापस चला जाए। उसे ऐसी कोई भी चीज़ नहीं चाहिए जो की उसे अपने परिवार से दूर रखे। लेकिन अब जो हो गया था उसे बदल नहीं जा सकता था।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की आपके पास जो कुछ है उसके लिए संतुष्ट और आभारी रहें। लालच आपको कहीं नहीं ले जाएगा, बल्कि मुसीबत में ही धकेलेगा।

27. तीन मछलियों की कहानी: Horror Short Stories In Hindi

यह पंचतंत्र की उन लघु नैतिक कहानियों में से एक है, जो बच्चों को जीवन का एक आवश्यक पाठ पढ़ाती है।

एक छोटी सी नदी में तीन मछलियाँ रहती थी। प्रत्येक मछली एक अलग रंग की थी – लालनीली और पीली। फिर भी ये तीनों मछलियाँ एक दूसरे के साथ मिलझूल कर रहती थी। 

एक दिन, नीली मछली किनारे के पास तैर रही थी और उसने मछुआरों की बातें सुनीं। “एक मछुआरा  दूसरे से कह रहा था की, यह नदी में मछली पकड़ने का समय आ गया है। नदी की मछलियाँ यहाँ बहुत भोजन के लिए तैरती होंगी! चलो कल मछली पकड़ने चलते हैं!”

चिंतित नीली मछली अपने अन्य दो दोस्तों के लिए जितनी जल्दी हो सके तैर गई। उनके पास पहुँचकर उसने उन्हें कहा, “सुनो सुनो! मैंने अभी-अभी मछुआरों को बात करते हुए सुना है। वे कल इस नदी में मछली पकड़ने की योजना बना रहे हैं। हमें कल के लिए नदी की सुरक्षित रूप से तैरना चाहिए!” 

इस बात पर लाल मछली ने कहा, “ओह, यह सब ठीक है! वे मुझे पकड़ नहीं पाएंगे क्योंकि मैं उनके लिए बहुत जल्दी हूं।इसके अलावा, हमारे पास वह सब खाना है जो हमें यहाँ चाहिए!” 

लाल मछली की बात सुनकर, नीली मछली ने कहा, “लेकिन, हमें सिर्फ एक दिन के लिए यहाँ से कहीं सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिए!” अब नीली मछली की बातें सुनकर, पीली मछली ने कहा, “मैं नीली मछली से सहमत हूं। माना की यह हमारा यह घर है, लेकिन हमें ज़रूर से सुरक्षित रहने की जरूरत है!” 

इन दोनों मछलियों ने, अपने दोस्तों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई उनकी बातों पर भरोशा नहीं किया। जैसे ही अगली सुबह हुई, मछुआरों ने अपना जाल डाला और जितनी हो सके उतनी मछलियाँ पकड़ लीं। इनमें से कुछ हरे थे, कुछ नारंगी थे, कुछ सफेद थे, कुछ बहुरंगी थे और उनमें से एक लाल मछली भी थी! 

इस बात पर मछुआरों ने आपस में बात की, “बेहतरिन पकड!” लंबे दिनों के बाद। दूर रे ये सभी चीजें दोनों दोस्त पीली मछली और नीली मछली देख रहे थे, उन्हें इस बात पर काफ़ी दुःख भी था की उनके दोस्त को “लाल मछली” को भी मछुआरों ने अपने जाल में पकड़ लिया था।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जब कोई आपको किसी समस्या के बारे में चेतावनी देता है, तब ऐसे में उनकी बातों को समझदारी से सुनना और उसके ऊपर कार्य करना महत्वपूर्ण होता है। रोकथाम इलाज से बेहतर है!

28. कौवों की गिनती की कहानी: Akbar Birbal Short Stories in Hindi

यह अकबर बीरबल की उन लघु नैतिक कहानियों में से एक है, जो बच्चों को जीवन का एक आवश्यक पाठ पढ़ाती है।

बात उस जमाने की है जब भारत में राजा अकबर राज किया करते थे। एक दिन अपने दरबारियों के साथ टहल रहे थे। महाराज अकबर ने कौवे को आकाश में उड़ते हुए देखा और पूछा: “क्या कोई मुझे बता सकता है कि राज्य में कितने कौवे हैं?” 

इस सवाल पर, सभी दरबारी हैरान हो गए ! “जहापना! राज्य में कौवे गिनना कैसे संभव है?” एक दरबारी को आश्चर्य हुआ। “यह असंभव है,” दूसरे ने कहा। वे सभी एक दूसरे को देखकर बड़बड़ाए और सिर हिलाया।वहीं पास में बीरबल खड़े थे, उन्हें देखकर अकबर से पूछा  “बीरबल, आपको क्या लगता है?” 

ऐसे पूछने पर, एक दरबारी ने मुस्कुराते हुए कहा  “बीरबल भी इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता।

वहीं उसकी बात को सहमति प्रदान करते हुए, दूसरे से कहा, मेरे भगवान,”! “हाँ, इसलिए वह चुप है!” बीरबल ने चुपचाप कहा, “हम्म … हम्म … हमारे राज्य, जहांपना में नब्बे-पांच हजार, चार सौ साठ-तीन कौवे होंगे।” “यह ऐसे कैसे संभव है?” सभी दरबारियों से पूछा।

अकबर भी हैरान थे, इस जवाब को सुनकर। फिर उन्होंने बीरबल से पूछा, “आप कितने निश्चित हैं, अपने इस जवाब को लेकर, बीरबल?” 

इसपर बीरबल जी ने उत्तर दिया, “मुझे पूरा यकीन है अपने इस जवाब पर! आइए किसी को राज्य में कौवे की संख्या गिनने के लिए भेजें, महामहिम! उन्होंने कहा। बीरबल की इस उत्तर पर दरबारी से पूछा, “हम्म.. अगर कौवे की संख्या कम हो तो क्या होगा?”

“तो, इसका मतलब है कि कौवे पड़ोसी राज्यों में अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हैं!” बीरबल ने उस दरबारी को उत्तर दिया। फिर दूसरे दरबारी से पूछा “लेकिन, अगर आपकी गिनती से ज्यादा कौवे हों तो क्या होगा?”। “ओह, इसका मतलब है कि पड़ोसी राज्यों के कौवे अपने रिश्तेदारों से मिलने आए हैं,” बीरबल ने कहा

इस तरह के हाज़िर जवाब पर महाराज अकबर के मुख पर एक ज़ोर से हँसी फूट पड़ी। उन्हें अब पक्का यक़ीन हो गया था की बीरबल का दिमाग़ सच में बहुत तेज है।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की यदि हम चाहें तो हमेशा किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान आसानी से ढूंढ सकते हैं। जहां चाह, वहां राह।

29. हाथी और कुत्ता की कहानी: Real Life Inspirational Short Stories In Hindi

एक दिन की बात है, राजा का शाही हाथी घास के टीले के पास चर रहा था, तभी उसे एक भूखी आवाज़ सुनाई दी।

ये आवाज़ असल में एक कुत्ता था जो महावत की थाली से बचा हुआ खाना खा रहा था। वहाँ पर हाथी का रखवाला महजूद नहीं था। चूंकि शाही हाथी हर दिन अकेले ही उस टीले में चरता था, इसलिए उसे कुत्ते के खाने या झपकी लेने से कोई फर्क नहीं पड़ा।

जल्द ही, वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए और खेलने लगे। इस बात पर, महावत को भी किसी बात की ऐतराज नहीं थी। एक दिन पास से गुजर रहे एक किसान ने कुत्ते को देखा और महावत से पूछा कि क्या वह कुत्ते को ले जा सकता है। 

चूँकि वो कुत्ता महावत का नहीं था, इसलिए महावत ने तुरंत हामी भर दी और कुत्ते को उस किसान को  दे दिया। अब अपने दोस्त को नॉ पाकर, जल्द ही, शाही हाथी ने खाना, पानी पीना या हिलना-डुलना भी बंद कर दिया। यह अपने टीले से बाहर नहीं निकला।

ऐसे ही एक दिन राजा अपने हाथी से मिलने आया और उसने देखा की उसका साही हाथी, बिलकुल बीमार मालूम पड़ रहा है, न वो खाता है न ही कुछ करता है। बस चुप चाप से एक जगह में पड़ा रहता है। 

ऐसा देखकर, राजा ने अपने हाथी की जाँच करने के लिए शाही चिकित्सक को बुलाया। शाही डॉक्टर ने हाथी की जांच की और कहा: “महाराज, शाही हाथी शारीरिक रूप से ठीक है, लेकिन ऐसा लगता है जैसे उसने एक दोस्त खो दिया है!” 

राजा ने तुरंत महावत को बुलवाया और उससे पहले के घटनाओं के बारे में सवाल पूछे। इस सवाल पर, महावत ने उत्तर दिया, की “ओह, एक कुत्ता था जो यहाँ हुआ करता था। मैंने उसे एक किसान को दे दिया!” महावत ने जवाब दिया। 

राजा ने तुरंत अपने एक रक्षक को महावत के साथ कुत्ते को वापस लाने के लिए भेजा। जैसे ही कुत्ते को टीले में लाया गया, हाथी अपने नन्हे दोस्त को देखने बैठ गया और खुशी से उछल पड़ा। उस दिन से हाथी और कुत्ता और भी ज़्यादा घने मित्र बन गए। उन दोनों की दोस्ती भी ज़्यादा गहरी हो गयी।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की दोस्त सभी आकारों में आते हैं। जब आप बिना शर्त दोस्ती बनाते हैं, तो यह हमेशा के लिए रहता है।

30. गौरिया, चूहे और एक शिकारी की कहानी: Thriller Short Stories in Hindi

बहुत दिनों की बात है, एक बार एक जंगल में गौरैयों का झुण्ड भोजन की तलाश में उड़ रहा था। तभी उनकी नजर पास के एक अनाज से भरे खेत पर पड़ी।

जल्द ही, वो सभी गौरैयों ने खाने के लिए नीचे उड़ गए और फिर पेट भरकर भोजन किया। जैसे ही वो सभी उड़ने के लिए ऊपर उठे, उन्होंने महसूस किया कि यह एक जाल था। उनके पैर एक शिकारी द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गए थे।

जब वे अपने आप को मुक्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्होंने देखा कि वो शिकारी धीरे-धीरे उनकी ओर चला आ रहा था। गौरैयों के नेता ने कहा: “रुको, संघर्ष मत करो! बस मेरी बात सुनो। चलो एक साथ उड़ते हैं और मैं हमें अपने दोस्त, चूहे के पास ले जाऊँगा। वो हमें इस जाल से ज़रूर आज़ाद करवा देगा।”

जैसे ही शिकारी चिल्लाया, गौरैयों ने एक साथ जाल को पकड़कर आकाश में उड़ गईं।

वे जंगल की ओर उड़ गए जहाँ एक छोटा चूहा रहता था। अब गौरैयों के नेता ने कहा, “उस पेड़ के तरफ़ उड़ो, वहाँ पर मेरा एक नन्हा दोस्त रहता है”। पेड़ के पास पहुँचकर, सभी गौरैयों ने एक साथ पुकारा, “छोटा चूहा, छोटा चूहा, कृपया हमारी मदद करें!” छोटा चूहा तुरंत जाल को चबाने लगा और जल्द ही सभी गौरैयों को मुक्त भी कर दिया।

ऐसा करने पर, गौरैयों के नेता ने अपने चूहे दोस्त को कहा, “धन्यवाद प्रिय मित्र! तुमने आज हम सभी को बचाया। इसलिए में सभी गौरैयों के तरफ़ से तुम्हारा शुक्रगुज़ार हूँ। अन्य गौरैयों ने भी नन्हे चूहे को धनयवाद कहा।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें हमेशा कठिनाई का सामना करना चाहिए और आशा नहीं खोना चाहिए। याद रखें की, एकता में ही बल है!

31. गाने वाले गधे की कहानी: Short Story in Hindi 100 Words

बहुत दिन पहले की बात है, पास के जंगल में एक भूखा गधा उदास रो रहा था। दिन भर के काम के बाद, उसके मालिक ने उसे ठीक से नहीं खिलाया था, इस कारण से वो उदास रो रहा था। 

पास से ही, एक गीदड़ वहाँ से गुजर रहा था और उसने भूखे गधे को देखा। “क्या हुआ, गधा?” उसने पूछा। “मुझे बहुत ज़ोरों से भूख लग रही है और मैंने यहाँ सब चर चुका हूँ, फिर भी मैं अभी भी भूखा हूँ!” गधा रोया। 



गधे की दुःख भरी बात सुनकर सियार ने कहा, “ओह, तुम जानते हो कि पास में एक बड़ा वनस्पति बगीचे है। तुम वहाँ जा सकते हो और भर पेट खाना खा सकते हो!” 

“कृपया मुझे वहाँ ले चलो!” गधे ने कहा। ऐसा सुनकर गीदड़ ने गधे को उस बगीचे तक ले चला।  एक बार सब्जी के बगीचे में वो लोग पहुँच गए, फिर वे चुपचाप ताजी सब्जियां चबाते हैं। तभी उनके पास में किसी के आने की आवाज़ सुनायी पड़ी। आवाज़ सुनकर वो दोनों भाग जाते हैं। 

अब से दोनों ही जानवर हर दिन सब्जी के बगीचे में जाते थे और भर पेट खाना खाते थे। लेकिन एक दिन उनकी क़िस्मत ख़राब थी, उन्हें एक किसान ने देख लिया और उन्हें भगा दिया। 

उस दिन दोनों जानवर भूखे थे। जैसे ही रात हुई, गीदड़ ने सुझाव दिया कि वे वापस सब्जी के बगीचे में चले जाएँ, ताकि उन्हें फिर से भर पेट खाने को मिले। 

रात होने पर, गधा और गीदड़ चुपचाप बगीचे में घुस गए और फिर भर पेट खाने लगे। खाते वक्त, गधे के मन में कुछ सूझा और उसने कहाँ, “ओह, इतने स्वादिष्ट खीरे और चाँद को देखो! यह इतना सुंदर है कि मैं एक गाना गाना चाहता हूं”। 

ऐसा सुनते ही गीदड़ ने कहा, “अभी नहीं! तुम यहाँ से नहीं गा सकते!” “लेकिन, मैं चाहता हूँ,” गधे ने गुस्से में कहा। गीदड़ ने उसे समझाने की कोशिश करी और कहाँ की, “किसान उसकी बात सुनेगा, उनके पकड़े जाने का डर भी है। जब गधे ने उसकी बात नहीं मानी तब वो वहाँ से चला गया। 

गधे ने आह भरी और गाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही दूर पर किसान और उसके परिवार ने एक गधे के रेंकने की आवाज सुनी। वे लाठी लेकर गधे की ओर दौड़े।

गधे को पीटकर जल्द ही बगीचे से बाहर खदेड़ दिया गया। “ओउ-ओउ-ओउ!” गधे को रेंकते हुए वह वापस चला गया। वो वापस गीदड़ के पास आ गया, और उस घटना का वर्णन किया।  

उसकी बात सुनकर, गीदड़ ने कहा “तुम्हें तब तक इंतजार करना चाहिए था जब तक हम गाने के लिए बगीचे से बाहर नहीं आ गए! लेकिन तुमने मेरी बात बिलकुल भी नहीं सुनी। जिससे आगे चलकर तुम्हें मार भी खानी पड़ी। चलो, तुम्हें आराम करने की जरूरत है! 

आगे से ऐसी गलती कभी भी मत करना, ऐसा कहने के बाद गीदड़ वहाँ से चला गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कोई भी चीज़ करने का एक उचित समय और स्थान होता है, आपको चीजों को करने के लिए हमेशा समय और स्थान का ध्यान रखना चाहिए।

32. टोपी बेचने वाला और बंदरों की कहानी: 1 Minute Short Story in Hindi

बहुत दिनों पहले की बात है। पास के एक गाँव में एक टोपी बेचने वाला रहता था। वो पास के गाँव में जाकर टोपी बेचता था। एक बार की बात है, पास के गाँव में कुछ दिन बेचने के बाद, टोपी बेचने वाला अपने गाँव वापस जा रहा था।

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वह अपने साथ बहुत सारी टोपियां ले जा रहा था। खड़े रहने और कम सोने से वजह से वह काफ़ी थक गया था। उसने सोचा की क्यूँ ना थोड़ी देर किसी पेड़ के नीचे आराम कर लूँ। उसे सोने के लिए एक बड़ा पेड़ मिला। उसने उस पेड़ को देखकर सोचा की क्यूँ ना इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम किया जाए। मन ही मन उसने सोचा, “ओह, मैं अभी थोड़ी देर सोऊंगा और गाँव पहुँचने के लिए तेज़ी से चलूँगा!”

जल्द ही, टोपी बेचने वाला गहरी नींद में सो गया। घंटों इस तरह से सोने के बाद, वह चौंक कर उठा। वह उठा और देखा कि एक को छोड़कर उसकी सभी टोपियां गायब हैं। “मेरी टोपी! मेरी टोपी! उन्हें कौन ले जा सकता था?” वह जोर से चिल्लाया।

तभी उसे पेड़ के ऊपर से किसी के चटकारे लेने की आवाज सुनाई दी! “आह, वे बंदर!” वह रोया। उसे अब लगा की वो शायद ही इन टोपियों को उन बंदरों से वापस ला पाए।
अब वो मन ही मन उन टोपियों को वापस लाने की योजना बनाने लगा। जैसा कि उसने सोचा कि वह क्या कर सकता है, उसे एक विचार आया!

उसने जमीन से टोपी उठाई और पहन ली। उसे देख रहे बंदरों ने भी टोपियां पहन लीं! उसने अपनी टोपी उतार कर जमीन पर पटक दी। उसकी इस हरकत को देखकर सब बन्दरों ने भी अपने सर से टोपी हटा दी और टोपियाँ भी नीचे फेंक दीं ! टोपीवाले ने झट से सारी टोपियाँ उठा लीं और तेजी से अपने गाँव की ओर चल दिया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमेशा अपने कार्यों को बुद्धिमानी से चुनें, इससे आप विषम परिस्तिथि से भी आसानी से बाहर आ सकते हैं।

33. चींटियाँ और टिड्डे की कहानी: Very Short Story in Hindi for Nursery Class

बहुत दिनों पुरानी बात है, एक जंगल में चींटियाँ और एक टिड्डा रहा करते थे। एक बार की बात है, जैसे ही पतझड़ का मौसम समाप्त होने वाला था, चींटियों का एक परिवार भोजन, लाठी और सूखे पत्ते इकट्ठा करने में व्यस्त था।

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टिड्डा दूर से देख रहा था की चींटियाँ अपने काम में बहुत ही व्यस्त नज़र आ रही थी। वहीं वो पास में धूप सेक रहा था। उसके मन में एक विचार आया और वो टिड्डा वहाँ चला गया और उसने चींटियों से पूछा: “इतने अच्छे दिन पर तुम क्या कर रही हो!”

इसपर एक चींटी ने जवाब दिया, “हम ठंड के लिए तैयार हो रहे हैं। आपको कुछ खाना भी स्टोर करना चाहिए! चींटी की बात सुनकर, टिड्डा हँसा और वहाँ से चला गया।
वह सूरज और तितलियों के पीछे भागने लगा। जैसे-जैसे चींटियाँ चरती रहीं, वैसे-वैसे दिन बीतते गए, जबकि टिड्डे ने सुस्ती में ऐसे ही दिन बिताए!

एक सुबह, टिड्डा एक ठंडी सुबह के लिए उठा और जमीन बर्फ से ढकी हुई थी। कीट भोजन की तलाश में उछल पड़ा और उसे कुछ नहीं मिला। उसे भूखे से उस दिन अपना पेट गुज़ारना पड़ा। अब उसे अपने गलती का ऐहसास हुआ, और वो सोचने लगा की चींटियाँ सही थीं!

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की समय किसी का भी इंतज़ार नहीं करता है, हमें समय रहते ही उस समय में मौके का फायदा उठाना चाहिए। अपने भविष्य की तैयारी के लिए वर्तमान के समय से कोई सही समय नहीं है!

34. हाथियों और चूहों की कहानी: Interesting Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक बहुत ही पुरानी भूकंप प्रभावित गाँव हुआ करता था, जहां की कोई भी इंसान नहीं रहा करते थे। वहीं इन मनुष्यों द्वारा परित्यक्त इस भूकंप प्रभावित गाँव में चूहों की एक बस्ती रहती थी। 

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गाँव के पास ही एक सरोवर था, जिसका उपयोग हाथियों के झुण्ड द्वारा किया जाता था। हाथियों को झील तक जाने के लिए गांव पार करना पड़ता था।ये इन लोगों का दैनिक कार्य हुआ करता था। 

एक दिन की बात है, जब वो हाथी का झुंड वहाँ से गुजर रहा था, तब उन्होंने अनजाने में ढेर सारे चूहों को रौंद डाला। इस बात पर चूहों के बीच में ख़लबली मच गयी। चूहों के नेता ने हाथियों से मुलाकात की और उनसे झील के लिए एक अलग रास्ता लेने का अनुरोध किया। साथ में उसने उनसे वादा भी किया कि उनकी ज़रूरत के समय उनका पक्ष वापस किया जाएगा। 

इस बात पर उस समय हाथी हँसे। उन्होंने आपस में बात करी की, इतने छोटे चूहे इन बड़े हाथियों की किसी भी तरह से मदद कैसे कर सकते थे? लेकिन फिर भी, उन्होंने अपना वादा निभाया और वे एक अलग रास्ता अपनाने पर सहमत हुए। 

ऐसे कुछ दिन बीत गए, अब एक नयी घटना सामने आयी। कुछ ही समय बाद चूहों ने सुना कि शिकारियों ने हाथियों के झुंड को पकड़ लिया है और उन्हें जाल में बांध दिया गया है। 

ऐसा सुनते हैं वे तुरंत हाथियों को बचाने के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने अपने तीखे दांतों से जालों और रस्सियों को कुतर डाला। हाथियों के नेता ने बार-बार चूहों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया! अब उन्हें समझ आ चुका था की किसी के आक़ार पर हंसना नहीं चाहिए। भगवान से सभी को किसी न किसी कला से नवाज़ा है।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की मित्र वही जो मुसीबत में काम आये। सुनिश्चित करें कि आप अपने दोस्तों की जब भी आवश्यकता हो, उनकी मदद करें। उन्हें हमेशा आप पर भरोसा करने में सक्षम होना चाहिए।

35. तीन छोटे सूअरों की कहानी: Family Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में तीन छोटे सूअर रहते थे। उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रहती थी। वो तीनों एक दूसरे के साथ एक छोटी से जगह में रहा करते थे। 



जब वो थोड़े बड़े हुए तब उन्हें उनकी रहने की जगह छोटी पड़ने लगी। अब तीनों छोटे सूअरों में से प्रत्येक ने अपना घर बनाने का फैसला किया। 

पहले सुअर ने बिलकुल भी मेहनत नहीं की और पुआल (straw) का घर बना लिया। वहीं दूसरे सुअर ने थोड़ी सी मेहनत की और लकड़ियों का इस्तमाल कर अपने लिए घर बना लिया। 

तीसरे सुअर ने थोड़ा सोचा और फिर बहुत मेहनत करने के बाद उसने अपने लिए सफलतापूर्वक एक ईंट-पत्थर का घर बना ली। 

अब वो तीनों आराम से रह रहे थे। लेकिन उनकी ये ख़ुशी को किसी की नज़र लग गयी। एक दिन, तीन छोटे सूअरों के घरों को एक बड़ा बुरा भेड़िया हमला करने आया। उसने पहले दो छोटे सूअरों के घरों को, जो पुआल और लाठियों से बने थे, फुफकारा और फुफकारा और उखाड़ दिया। साथ में उसने दोनों ही सूअरों को खा लिया।  

फिर वह फुसफुसाया और फुसफुसाया, लेकिन तीसरे छोटे सुअर के घर को नहीं उखाड़ सका, जो अपने घर में आराम से बैठा था। उसने बहुत कोशिश करे उस घर को तोड़ने की लेकिन वो अपने कोशिश में सफल नहीं हुआ क्यूँकि तीसरे सुअर का घर बहुत ही मज़बूत था जो की काफ़ी परिश्रम के बाद बना था।

जल्द ही, बड़ा बुरा भेड़िया गहरी सांस ले रहा था और वो वहाँ से भाग गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है। हमेशा बड़ी तस्वीर के बारे में सोचो और आलसी मत बनो।

36. बंदर और मगरमच्छ की कहानी: Panchatantra Story in Hindi with Picture

बहुत समय पहले की बात है। एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। वहीं उस जंगल के पास से ही एक नदी बहा करती थी। नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था। 

वह प्रतिदिन स्वादिष्ट जामुन खाता था। एक बार उसने पेड़ के नीचे एक मगरमच्छ को आराम करते देखा जो थका हुआ और भूखा लग रहा था। उसने सोचा की शायद ये मगरमच्छ भी भूखा हो इसलिए उसने मगरमच्छ को कुछ जामुन खाने को दिए। 



जामुन के लिए मगरमच्छ ने बंदर को धन्यवाद दिया। जल्द ही, वे सबसे अच्छे दोस्त बन गए और एक दूसरे के साथ ज़्यादा समय बिताने लगे। अब बन्दर मगरमच्छ को रोज जामुन देता था। दोनों आनंद से जामुन खाया करते थे। 

एक दिन बंदर ने मगरमच्छ को उसकी पत्नी के लिए अतिरिक्त जामुन दिए। जिसे वो अपने घर ले जाए और दोनों साथ में कुछ जामुन भी खाएँ। लेकिन बंदर को मगरमच्छ के पत्नी के स्वभाव के बारे में थोड़ी भी जानकारी नहीं थी। असल में मगरमच्छ की पत्नी एक दुष्ट मगरमच्छ थी। 

जब उसने बंदर द्वारा लाए गए जामुन खाया तब उसकी बुद्धि में ग़लत योजनाएँ पनपने लगी। फिर उसने अपने पति से कहा कि अगर ये जामुन इतने ज़्यादा मीठे हैं तब इस जामुन को हर दिन खाने वाला बंदर का दिन कितना ज़्यादा मीठा होगा। वह बंदर का दिल खाना चाहती है क्योंकि वह भी इस जामुन के तरह ही काफ़ी ज़्यादा मीठा होगा! 

मगरमच्छ पहले तो परेशान हुआ लेकिन फिर उसने अपनी पत्नी की इच्छा के आगे झुकने का फैसला किया। अब दोनों पति पत्नी ने उस बंदर को मार कर खाने की योजना बना डाली।

अगले दिन मगरमच्छ अपने दोस्त के पास चला गया। उसने बंदर को बताया कि उसकी पत्नी ने बंदर को खाने पर घर बुलाया है क्यूँकि वो बंदर द्वारा दिए गए जामुन से काफ़ी ज़्यादा खुश हुई है। 

अब मगरमच्छ और बंदर दोनों मगरमच्छ के घर के तरफ़ तैर कर जाने लगे। इसके लिए मगरमच्छ ने बंदर को नदी के पार अपने घर तक ले जाने के लिए उसे अपनी पीठ पर लाद लिया। अब वो दोनों कुछ ही दूर गए थे की, उसने बंदर को अपनी पत्नी की दिल खाने की योजना के बारे में बताया।

इसे सुनकर बंदर को बड़ा डर लगा और उसने अपने दिमाग़ का इस्तमाल करना शुरू किया। बंदर ने होशियार होकर मगरमच्छ से कहा कि वह अपना दिल जामुन के पेड़ पर छोड़ गया है। चूँकि मगरमच्छ की पत्नी उसके दिल को खाना चाहती है इसलिए उसे फिर से उस पेड़ पर जाकर अपने दिल को लाना होगा। 

बंदर की यह बात सुनकर मगरमच्छ प्रसन्न हुआ (मूर्खतापूर्वक) और मगरमच्छ बंदर के घर की ओर के लिए मुड़ गया। पेड़ के पास पहुंचते ही बंदर जामुन के पेड़ पर चढ़ गया। फिर उसने पेड़ के ऊपर से ही मगरमच्छ को कहा “क्या कोई दिल पेड़ पर रखता है? दिल के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता।

तुमने अपनी पत्नी के बहकावे में आक़ार मेरे भरोसे को तोड़ा है। अब हम फिर कभी दोस्त नहीं बन सकते!” बंदर ने अपने दोस्त से कहा। 

अपने दोस्त को खोने के बाद दुखी मगरमच्छ अपनी दुष्ट पत्नी के पास वापस चला गया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अपने दोस्तों और जिन लोगों पर आप भरोसा करते हैं उन्हें बुद्धिमानी से चुनें। किसी ऐसे व्यक्ति के विश्वास को कभी धोखा न दें जो आप पर भरोसा करता हो। मुसीबत के क्षणों में धैर्य नहीं खोना चाहिए। मित्रता का सदैव सम्मान करें।

37. मूर्ख चोर की कहानी: Akbar Birbal Stories in Hindi With Pictures

बहुत पहले की बात है। एक बार, एक अमीर व्यापारी बीरबल से मदद मांगने के लिए राजा अकबर के दरबार में आया। उस व्यापारी के कुछ सामान की चोरी हो गयी थी। अब उस व्यापारी को ये शक था कि उसके किसी नौकर ने उसे लूट लिया है। लेकिन चूँकि उसके बहुत से नौकर थे इसलिए वो असली चोर को पकड़ नहीं पा रहा था।

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जब उसने अपनी इस परेशानी के बारे में राजा अकबर को बतायी, तब महाराज अकबर ने अपने सबसे चतुर मंत्री बीरबल को इस परेशानी का हल खोजने का दायित्व दिया। यह सुनकर बीरबल ने एक चतुर योजना के बारे में सोचा और व्यापारी के नौकरों को बुलाया।

महामंत्री बीरबर ने प्रत्येक सेवक को समान लम्बाई की एक छड़ी दी। और फिर उनसे सभी को कहा कि अगले दिन तक चोर की छड़ी दो इंच बढ़ जाएगी। ऐसा सिर्फ़ उसके साथ होगा जिसने व्यापारी का सामान चुराया है। 

अगले दिन बीरबल ने सभी नौकरों को सम्राट के दरबार में फिर से बुलाया। उसने देखा कि एक नौकर की छड़ी दूसरों की तुलना में दो इंच छोटी थी।

अब बीरबल को असली चोर के बारे में मालूम पड़ गया था। वह जानते थे कि चोर कौन है।

मूर्ख चोर ने अपनी छड़ी को दो इंच छोटा कर दिया था क्योंकि उसे लगा कि यह सच में दो इंच बढ़ जाएगी। इस प्रकार बीरबल सेन बहुत ही चतुरायी से असली चोर को पकड़ लिया।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है।

38. तीन गुड़ियों की कहानी: Tenali Rama Stories in Hindi With Pictures

बहुत समय पहले की बात है। उस समय राजा कृष्णदेवराय जी का राज हुआ करता था। एक दिन, राजा कृष्णदेवराय के दरबार में, दूर देश के एक व्यापारी ने विजयनगर के दरबारियों की परीक्षा ली।

उसने दरबार में आक़ार राजा से कहा, “मैंने आपके दरबार की महिमा के बारे में सुना है। मेरे पास आपके न्यायालय के लिए एक परीक्षा है!”

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राजा ने व्यापारी को अपनी बात जारी रखने की अनुमति दी। अब वो व्यापारी अपनी बात रखने लगा, उसने कहा “यहाँ तीन गुड़िया हैं जो मैंने बनाई हैं। देखने में ये सभी एक जैसे लगते हैं, लेकिन ये सभी एक दूसरे से अलग है। आपको मुझे ये बताना है की कैसे ये तीनों गुड़िया एक दूसरे से अलग हैं। मैं आपके उत्तर के लिए तीस दिनों में वापस आऊंगा!

राजा ने अपने सभी मंत्रियों को बुलाया और उनसे गुड़ियों में अंतर पता करने को कहा। दिन बीतते गए और किसी के पास कोई जवाब नहीं था। कृष्णदेवराय ने अंतर खोजने के लिए अपने भरोसेमंद विकटकवि को बुलाया। यहां तक ​​कि तेनाली रामा भी इस सवाल से अचंभित हो गया।

उसने गुड़िया को अपने साथ घर ले जाने के लिए राजा की अनुमति ली। उन्होंने निरीक्षण करना और पता लगाना जारी रखा कि अंतर क्या हो सकते हैं। उसने वह सब कुछ करने की कोशिश की जो वह कर सकता था। लेकिन जल्द ही व्यापारी के आने का दिन आ गया।

जब सब राजा के दरबार में बैठ गए, तेनाली रामा बोला: “मैंने गुड़ियों के बीच अंतर खोज लिया है। गुड़िया में से एक अच्छी है, दूसरी औसत दर्जे की है, और तीसरी खराब है!

सभी हैरान हो उठे। यह कैसे हो सकता है? “आप यह निश्चित रूप से कैसे जानते हैं! हमें दिखाओ?” राजा से पूछा।

तेनाली रामा ने प्रत्येक गुड़िया के कान में एक छोटा सा छेद दिखाया और फिर उसने उनके प्रत्येक कान के माध्यम से एक पतली तार डाली।

पहली गुड़िया के लिए तार कान से होते हुए मुंह से निकल गया। दूसरी गुड़िया के लिए तार पहले कान में गया और दूसरे कान से निकल गया। तीसरी गुड़िया के लिए तार कान से होते हुए बाहर दिखाई दिया लेकिन वह दिल में जा चुका था।

पहली गुड़िया खराब है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो रहस्य नहीं रख सकते।

दूसरी गुड़िया औसत दर्जे की है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो सरल हैं और समझ नहीं सकते कि उन्हें क्या कहा जाता है।

तीसरी गुड़िया अच्छी है और यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो राज़ रख सकते हैं!” तेनाली रामा को समझाया। सभी प्रभावित हुए।

“लेकिन, एक और व्याख्या भी हो सकती है!

पहली गुड़िया अच्छी है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकती है जो ज्ञान चाहते हैं और इसे दूसरों के साथ साझा करते हैं। दूसरी गुड़िया उन लोगों की तरह औसत दर्जे की है जो यह नहीं समझ सकते कि उन्हें क्या सिखाया जाता है। तीसरी गुड़िया खराब है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो ज्ञान चाहते हैं लेकिन दूसरों के साथ साझा नहीं करते हैं!

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की तलाशने और सीखने की उत्सुकता ही हमारे अनुभवों और विचारों का विस्तार करने का एकमात्र तरीका है।

39. गधे से बहस की कहानी: Panchatantra Stories in Hindi With Pictures

बहुत समय पहले की बात है। एक बार एक जंगल में एक गधे और एक बाघ के बीच में बहस हो गयी। गधे ने बाघ से कहा:- “घास नीली है“। बाघ ने जवाब दिया: – “नहीं, घास हरी है।”

चर्चा गर्म हो गई, और दोनों ने उसे मध्यस्थता में जमा करने का फैसला किया और इसके लिए वे जंगल के राजा शेर के सामने गए। वन समाशोधन तक पहुँचने से पहले ही, जहाँ शेर अपने सिंहासन पर बैठा था, गधा चिल्लाने लगा: – “महामहिम, क्या यह सच है कि घास नीली है?”।



शेर ने जवाब दिया:- “सच है, घास नीली है।” गधे ने हड़बड़ी की और जारी रखा: – “बाघ मुझसे असहमत है और मेरा खंडन करता है और मुझे परेशान करता है, कृपया उसे दंडित करें।”

राजा ने तब घोषणा की: – “बाघ को 5 साल की चुप्पी की सजा दी जाएगी।” गधा ख़ुशी से झूम उठा और अपने रास्ते चला गया, संतुष्ट और दोहराता हुआ: – “द ग्रास इज़ ब्लू (घास नीली है)” … बाघ ने अपनी सजा स्वीकार कर ली, लेकिन इससे पहले कि वह शेर से पूछता: – “महाराज, आपने मुझे दंड क्यों दिया है? आखिर घास हरी है।”

शेर ने जवाब दिया:- “दरअसल घास हरी है।” बाघ ने पूछा:- “तो आप मुझे फिर सजा क्यों दे रहे हो?”।

शेर ने जवाब दिया: – “घास के नीले या हरे होने के सवाल से इसका कोई लेना-देना नहीं है। सजा इसलिए है कि तुम जैसे बहादुर और बुद्धिमान प्राणी के लिए यह संभव नहीं है कि वह गधे से बहस करके समय बर्बाद करे और ऊपर से आकर मुझे उस सवाल से परेशान कर दे।”

मूर्ख और कट्टर के साथ बहस करना समय की सबसे खराब बर्बादी है, जो सच्चाई या वास्तविकता की परवाह नहीं करता, बल्कि केवल अपने विश्वासों और भ्रमों की जीत की परवाह करता है। उन तर्कों पर समय बर्बाद न करें जिनका कोई मतलब नहीं है।

ऐसे भी लोग होते हैं, जो कितने भी सबूत और सबूत उनके सामने पेश कर दें, समझने की क्षमता में नहीं होते, और दूसरे लोग अहंकार, घृणा और आक्रोश से अंधे हो जाते हैं, और वे जो नहीं चाहते हैं, वह सही होना ही चाहते हैं।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जब अज्ञान चिल्लाता है, तो बुद्धि चुप हो जाती है। आपकी शांति और शांति अधिक मूल्य की है।

40. बहादुर छोटा चूहा की कहानी: Cartoon Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में जेरी नाम का एक छोटा चूहा रहता था। जेरी भले ही दिखने में छोटा था, लेकिन उसका दिल बड़ा था और वो काफ़ी ज़्यादा बहादुर भी था। अपने आकार के बावजूद, उसने हमेशा एक साहसिक कार्य पर जाने और अन्य जानवरों को साबित करने का सपना देखा करता था।



एक दिन, एक खूंखार बिल्ली गाँव में आ गई, जिससे सभी जानवर डर के मारे रहने लगे। वे इतने ज़्यादा डरे हुए थे की, वो अपना घर छोड़कर खाना इकट्ठा करने से भी डरने लगे। ऐसे में गाँव तेजी से संसाधनों से बाहर हो रहा था। जैरी ये भली भाँति जानता था कि उसे अपने दोस्तों और घर को बचाने के लिए कुछ करना होगा।

वह अब बिल्ली को मात देने की योजना के साथ आया और अपने साहसिक कार्य पर खुद निकल पड़ा। उसने एक चमकदार घंटी ढूंढी और उसे अपनी पूंछ से बांध लिया। वह तब बिल्ली के घर में घुस गया जब वह सो रही थी और जोर से घंटी बजाई। बिल्ली चौंक कर उठी और उस शोर का पीछा किया, और गाँव से बाहर हो गया।  जेरी की इस बहादुरी से अब गांव अन्य जानवरों के लिए सुरक्षित हो चुका था।

अन्य जानवर जेरी की बहादुरी से चकित थे और उन्होंने अपने घर को बचाने के लिए उसे धन्यवाद दिया। तब से, जेरी को गांव में सबसे बहादुर चूहे के रूप में जाना जाने लगा।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की छोटे से छोटा प्राणी भी बड़ा बदलाव ला सकता है यदि उसके पास साहस और दृढ़ संकल्प हो।

41. खोई हुई चाबी की कहानी: Heart Touching Short Story in Hindi

एक बार की बात है, एमिली नाम की एक छोटी लड़की थी जो अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। एमिली को अपने घर के पीछे जंगल में घूमना और खेलना बहुत पसंद था। वह अक्सर घूमने जाती और सुंदर पत्थर और पत्ते इकट्ठा करती। लेकिन एक चीज थी जो उसे सबसे ज्यादा पसंद थी, और वह थी उसका खजाना बक्सा जहां वह अपना सारा खजाना रखती थी। बॉक्स में एक छोटी सी सुनहरी चाबी थी जो उसे खोलती थी।



एक दिन, खोजबीन के दौरान, एमिली को ये एहसास हुआ कि उसने अपनी चाबी खो दी है। उसने हर जगह ढूंढा, लेकिन कहीं पता नहीं चला। वह बहुत दुखी थी, और उसने सोचा कि वह फिर कभी अपना खजाना बॉक्स नहीं खोल पाएगी। इसलिए उसका मन बहुत ही दुःख हुआ।

निराश होकर उसने घर वापस जाने का फैसला किया। जब वो रास्ते में जा रही थी तब रास्ते में उसकी मुलाकात एक बूढ़े उल्लू से हुई जिसने उससे पूछा कि क्या गलत है, वो इतनी ज़्यादा उदास क्यूँ है।  एमिली ने उसे अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उसने अपनी चाबी खो दी है। उल्लू ने ध्यान से सुना और फिर कहा, “चिंता मत करो एमिली, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।”

उल्लू एमिली के साथ जंगल में एक छोटे तालाब की ओर उड़ गया। उसने उसे ध्यान से पानी में देखने को कहा, और वहाँ उसने देखा कि उसकी चाबी तालाब के तल पर चमक रही है। उत्साहित होकर, वह अंदर पहुंची और अपनी चाबी वापस ले ली।

एमिली अब बहुत खुश हुई और उसने उल्लू को उसकी मदद के लिए धन्यवाद दिया। वह अपने खजाने के डिब्बे की ओर भाग गई, और अपनी नई मिली चाबी के साथ, उसने उसे खोला और अपने सभी खजाने को देखकर मुस्कुराई। 

उस दिन से, एमिली कभी भी अपनी चाबी के बिना खोजबीन करने नहीं गई, और उसे हमेशा उस बुद्धिमान बूढ़े उल्लू की याद आई जिसने उसकी मदद की थी।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की सब्र से अगर किसी कार्य को किया जाए तब उस कार्य में सफलता ज़रूर मिलती है।

42. सुनहरे अंडे की कहानी: Sad Short Story in Hindi

एक बार की बात है, एक किसान के पास एक अनोखा हंस था जो प्रतिदिन एक सोने का अंडा देता था। उस अंडे को बेचकर दोनों पति पत्नी बड़ी आसानी से अपना जीवन यापन किया करते थे। अंडे ने किसान और उसकी पत्नी को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया। ऐसा कई वर्ष बीत गए, किसान और उसकी पत्नी बहुत देर तक सुखी रहे।



लेकिन, एक दिन, किसान ने मन ही मन सोचा, “हम एक दिन में सिर्फ एक अंडा ही क्यों लें? हम उन्हें एक साथ क्यों नहीं ले सकते और ढेर सारा पैसा क्यों नहीं बना सकते?” अपनी इस सवाल को किसान ने अपनी पत्नी को अपना विचार बताया, और वह इस मूर्खता से सहमत भी हो गई।

फिर, अगले दिन, जैसे ही हंस ने अपना सुनहरा अंडा दिया, किसान ने तेज चाकू से उस हंस को मार डाला। जब उसने हंस को मार डाला, उसने अब उस हंस के सारे अंडे पाने की सोची। उसके सभी सुनहरे अंडे पाने की उम्मीद में उसका पेट काट दिया। लेकिन, जैसे ही उसने पेट खोला, उसे केवल उसमें खून ही मिला।

किसान को जल्दी ही अपनी मूर्खतापूर्ण गलती का एहसास हुआ और वह अपने खोए हुए संसाधन पर रोने लगा। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, किसान और उसकी पत्नी और भी गरीब होते गए। अब उन्हें उनकी लोभ का एहसास होने लगा की वो कितने मनहूस और कितने मूर्ख थे।

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की आपके सोचने से पहले कभी कार्य न करें। हमेशा सोच विचार कर के कार्य करना चाहिए।

43. किसान और कुआँ की कहानी: Moral Stories in Hindi New

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक किसान रहा करता था। वो बड़ी ही परिश्रम से अपने अनाज उगाया करता था और उसे बेचकर अपना गुज़ारा किया करता था। एक बार वो अपने खेत के लिए पानी के स्रोत की तलाश कर रहा था, तभी उसे अपने पड़ोसी की एक कुआं दिखायी पड़ा। उसने उस पड़ोसी से वो कुआं ख़रीद लिया। 



लेकिन वो पड़ोसी बहुत ही चालाक व्यक्ति था। इसलिए अगले दिन जब किसान अपने कुएँ से पानी भरने आया तो पड़ोसी ने उसे पानी लेने से मना कर दिया।

जब किसान ने इसका कारण पूछा, तो पड़ोसी ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें कुआँ बेचा था, पानी नहीं” और वो वहाँ से चला गया। व्याकुल होकर किसान न्याय मांगने के लिए सम्राट के पास गया। उसने अपनी पूरी बात सम्राट के सामने रखी। 

बादशाह ने अपने नौ में से एक सबसे बुद्धिमान मंत्री “बीरबल” को बुलाया। अब बीरबल ने पड़ोसी से प्रश्न किया, “तुम किसान को कुएँ से पानी लेने क्यों नहीं देते? आख़िर तुमने किसान को कुआँ बेच दिया है?”

इस सवाल पर पड़ोसी ने जवाब दिया, “बीरबल जी, मैंने किसान को कुआँ तो बेचा था, लेकिन उसमें जो पानी है वो नहीं। उसे कुएँ से पानी निकालने का कोई अधिकार नहीं है।” अब बीरबल ने कुछ समय लिया इस परिस्तिथि का हल खोजने के लिए। 

फिर कुछ समय सोचने के बाद बीरबल ने कहा, “देखो, चूंकि तुमने कुँआ बेच दिया है, इसलिए तुम्हें किसान के कुएँ में पानी रखने का कोई अधिकार नहीं है। या तो आप किसान को किराया दें, या फिर कुएँ से पूरा पानी तुरंत हटा लें। यह महसूस करते हुए कि उसकी योजना विफल हो गई, पड़ोसी ने माफी मांगी और घर चला गया।

अब उस किसान को उसके हक़ का कुआँ प्राप्त हो गया और उसने बीरबल जी का धन्यवाद दिया उसे सही तरीक़े से न्याय प्रदान करने के लिए। 

सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की किसी को धोखा देने से आपको कुछ नहीं मिलेगा, लेकिन इसका नतीजा आपको जल्द ही भुक्तान करना पड़ेगा।




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