भारतीय शिक्षा प्रणाली indian education system की शुरुआत आजादी से पूर्व ही हो गयी थी, गाँधी जी ने अंग्रेजो से मातृभाषा में शिक्षा देने की मांग की थी परंतु उस समय देश गुलाम था जिस कारण यह मांग को स्वीकृत नही किया गया उस समय कम से कम लोगो को ही शिक्षा प्राप्त हो पाती थी और उस समय की शिक्षा में पूर्ण रूप से अंग्रेजी का ही वर्चस्व रहता था
उस समय की भारतीय शिक्षा प्रणाली Indian Education System की स्थिति काफी दयनीय थी। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जनिंगे की भारतीय शिक्षा प्रणाली की वर्तमान स्थिति क्या है एवं भारतीय शिक्षा का वास्तविक स्वरूप कैसा हैं?
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात ही शिक्षा प्रणाली का विकास होना प्रारंभ हो गया था सर्वप्रथम 1948 में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया गया जिसको हम (राधाकृष्णन कमीशन ) के नाम से भी जानते है इसके पश्चात वर्तमान तक कई आयोगों का गठन हो चुका है जिनमें माध्यमिक शिक्षा आयोग ,1952-53 , राष्ट्रीय शिक्षा आयोग(कोठारी आयोग),1964-66 , राष्ट्रीय शिक्षा नीति,1986 , संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति,1986 और राष्ट्रीय ज्ञान आयोग,2005-09 शामिल हैं।
इन सभी आयोगों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली के विकास पर बल दिया है जिससे भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिल पाई हैं।
भारतीय संविधान ने भारतीय नागरिकों को शिक्षा का अधिकार Right to Education,2009 प्रदान किया है जिसके अन्तर्गत सभी नागरिकों को शिक्षा के समान अवसर प्राप्त होने की बात कही गयी हैं अतः साफ अक्षरों में लिखा है कि राज्य किसी भी स्थिति में शिक्षा के अवसर में कोई भेद – भाव नही करेगा अगर कोई राज्य ऐसा करता है तो उसे मौलिक अधिकारों Fundamental Right का उल्लंघन माना जाएगा एव कोर्ट को ऐसी स्थिति में सरकार के खिलाफ उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली Indian Education System में समाज की वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए निरन्तर बदलाव किए जाते रहे है और यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए हमेशा लाभकारी सिध्द हुआ है।
वर्तमान में भारतीय संविधान ने हमे 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये है जो इस प्रकार है –
- समानता का अधिकार ( अनुच्छेद 14-18).
- स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19-22).
- शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23-24).
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 25-28).
- संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29-30).
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32).
अगर किसी नागरिक को शिक्षा के अवसर देने में किसी भी प्रकार का भेद-भाव किया जाता है तो वह 6 यानि संवैधानिक उपचारों के अधिकार के तहत कोर्ट जा सकता हैं यह अधिकार भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान ने दे रखें है ।
भारतीय शिक्षा प्रणाली में शिक्षा संबंधित प्रावधान Education related provisions in Indian education system –
- 6 से 14 वर्ष के बच्चो के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा – 86 वे संवैधानिक संशोधन अधिनियम 2002 के अन्तर्गत अनुच्छेद 21 (A) जोड़ा गया जिसमें यह कहा गया कि 6 से 14 वर्ष के बच्चो के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाएगी।
- शिक्षा समवर्ती सूची – प्रारंभ में शिक्षा राज्य सूची के अंतर्गत आती थी परंतु शिक्षा के महत्व को देखते हुए एवं देश के भविष्य को अच्छी स्थिति में ले जाने के लिए तथा भारत के लिए उचित नागरिको के निर्माण हेतु 1976 43 वे संवैधानिक संशोधन द्वारा शिक्षा को समवर्ती सूची में सम्मिलित किया गया ।
(क) - राज्य सूची - इसके अंतर्गत जो भी क्षेत्र आते है उनमें सिर्फ राज्य सरकारें ही कानून बना सकती है।
(ख) - संघ सूची - इसके अंतर्गत जो भी क्षेत्र आते है उनमें सिर्फ केंद्र सरकार ही कानून बना सकती है।
(ग) - समवर्ती सूची - इसके अन्तर्गत जो भी क्षेत्र आते है उनमें केंद्र एवं राज्य दोनो ही कानून बना सकते है वर्तमान में शिक्षा इसी के अन्तर्गत है , अगर कभी ऐसी स्थिति आयी कि दोनों के बनाये कानून एक दूसरे के सामने खड़े हो गए दो ऐसी स्थिति में केंद्र का कानून को सर्वोपरि स्थान दिया गया है अर्थात ऐसे में केंद्र का कानून मान्य होगा।
स्त्री शिक्षा - स्त्री शिक्षा में सरकार ने यह कहा है कि राज्य स्त्री और बालको की शिक्षा के लिए विशेष उपबंध बना सकता हैं।
शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के समान अवसर - इसमे कहा गया है कि राज्य धर्म,लिंग,जाति, वंश में किसी भी प्रकार का भेद-भाव किये बिना राज्य के सभी नागरिकों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करेगा।
अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के बच्चो के लिए भारतीय संविधान ने विशेष प्रावधान निर्धारित किये हुए है जिसमे छात्रवृति की व्यवस्था की गयी है एवं प्राथमिक स्तर में निशुल्क पुस्तकों की भी व्यवस्था की गई हैं।
मातृभाषा द्वारा शिक्षा - इसमे कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा में राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने की उचित व्यवस्था करें।
अगर हम भारतीय शिक्षा की वर्तमान स्थिति की बात करे तो यह कहना उचित होगा कि भारत की वर्तमान शिक्षा पहले के मुकाबले काफी मजबूत है एवं भारतीय नागरिकों को पहले से ज्यादा वर्तमान में अधिकार प्रदान किये गए है एवं सभी नागरिकों के लिए शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।
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